एनआईए ने सुधा भारद्वाज की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की

NIA seeks urgent hearing on plea challenging bail of Sudha Bharadwaj
एनआईए ने सुधा भारद्वाज की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की
भीमा कोरेगांव एनआईए ने सुधा भारद्वाज की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की
हाईलाइट
  • भीमा कोरेगांव जाति हिंसा

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया जिसने भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को कुछ शर्तो के साथ जमानत दे दी थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एनआईए की याचिका का उल्लेख किया। मेहता ने डिफॉल्ट जमानत देने का आदेश प्रस्तुत किया जो बुधवार को प्रभावी होगा, मेहता ने कहा, तो मुझे कल सफल होना है या हारना है। दोष दूर हो गए हैं। याचिका क्रमांकित है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले को देखेगी।

1 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव जाति हिंसा मामले में भारद्वाज को जमानत दे दी थी। हालांकि इसने आठ अन्य आरोपियों - रोना विल्सन, वरवर राव, सुधीर धवले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। सभी आरोपी तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि भारद्वाज को बुधवार को विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए जो जमानत की शर्तों को लागू करेगी और उनकी रिहाई को अंतिम रूप देगी। यह नोट किया गया था कि एनआईए अधिनियम के तहत नामित एक विशेष अदालत पहले से ही पुणे में मौजूद है। परिणामस्वरूप, सत्र न्यायाधीश के पास निर्धारित 90 दिनों से अधिक हिरासत बढ़ाने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था।

मामले में गिरफ्तार किए गए 16 कार्यकर्ताओं में भारद्वाज पहली हैं जिन्हें जमानत मिली है। इससे पहले एक अन्य आरोपी पी. वरवर राव को चिकित्सा आधार पर जमानत दी गई थी  जबकि आरोपी फादर स्टेन लौर्डस्वामी का लंबी बीमारी के बाद जुलाई में हिरासत में निधन हो गया था। छत्तीसगढ़ की रहने वाली 60 वर्षीय भारद्वाज को पुणे पुलिस द्वारा ने दिल्ली से गिरफ्तारी किया था और अगस्त 2018 से जेल में है। उच्च न्यायालय ने उसे इस आधार पर जमानत दी कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत उसकी नजरबंदी एक सत्र अदालत द्वारा बढ़ा दी गई थी जिसके पास ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं थी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   6 Dec 2021 1:00 PM IST

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