गंगा में अवैध खनन संबंधी याचिका पर कार्रवाई करने के लिए संयुक्त पैनल को निर्देश दिया

NGT directs joint panel to act on plea regarding illegal mining in Ganga
गंगा में अवैध खनन संबंधी याचिका पर कार्रवाई करने के लिए संयुक्त पैनल को निर्देश दिया
एनजीटी गंगा में अवैध खनन संबंधी याचिका पर कार्रवाई करने के लिए संयुक्त पैनल को निर्देश दिया
हाईलाइट
  • मामले में समन्वय और अनुपालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक नोडल एजेंसी होगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी)ने गंगा नदी के किनारे रेत और मिट्टी के अवैध खनन मामले में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त समिति को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

इस याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में गंगा के अस्सी घाट से राज घाट तक रेत और मिट्टी का अवैध खनन हो रहा है और इस मामले में जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच ने स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए)और जिला मजिस्ट्रेट,वाराणसी को कार्रवाई करने के लिए कहा है।

इसमें कहा गया कि है कि जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर)और पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) संबंधी रिपोर्ट के सर्वोच्च न्यायालय के पहले के आदेश के बावजूद उलंलघन अवैध खनन जारी है।

याचिका के अनुसार, एक स्थानीय हिंदी समाचार पत्र में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय, वाराणसी द्वारा 1 जून 2021 को गंगा चैनल से छह महीने की अवधि के लिए ड्रेजिंग सामग्री उठाने संबंधी एक विज्ञापन जारी किया गया था।

याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि अगस्त से सितंबर 2021 के महीने में, बाढ़ ने ड्रेजिंग सामग्री के साथ-साथ वाराणसी में गंगा नदी में इस चैनल को भी बहा दिया।

इस तथ्य के बावजूद कि पिछले साल बारिश के मौसम में बाढ़ के दौरान चैनल और ड्रेज्ड सामग्री बह गई थी, गंगा नदी में खनन किसी भी जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) और पर्यावरण प्रभाव आकलन मंजूरी की रिपोर्ट के बिना अवैध रूप से जारी है।

इसमें कहा गया है कि खनन पट्टे की सीमाओं का कोई सीमांकन नहीं है और ड्रेज्ड सामग्री उठाने के नाम पर मौजूदा खनन पूरी तरह से अवैध है। एनजीटी के 17 फरवरी के आदेश में कहा गया है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त समिति के माध्यम से मामले में पूरी स्थिति का पता लगाना आवश्यक प्रतीत होता है।

इस मामले में समन्वय और अनुपालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक नोडल एजेंसी होगी। संयुक्त समिति चार सप्ताह के भीतर बैठक कर साइट का दौरा कर सकती है और आवेदक की शिकायत को देख सकती है।

न्यायाधिकरण ने इस मामले में तीन महीने की अवधि में एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 27 मई को निर्धारित की है।

(आईएएनएस)

Created On :   22 Feb 2022 3:31 PM IST

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