मेरा चुनाव सबूत है कि एक गरीब भी देख सकता है सपने : राष्ट्रपति मुर्मू का पहला संबोधन

My election is proof that even a poor can dream: President Murmus first address
मेरा चुनाव सबूत है कि एक गरीब भी देख सकता है सपने : राष्ट्रपति मुर्मू का पहला संबोधन
पहला संबोधन मेरा चुनाव सबूत है कि एक गरीब भी देख सकता है सपने : राष्ट्रपति मुर्मू का पहला संबोधन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुसार पूरी निष्ठा से कार्य करने का वादा करते हुए कहा कि उनके लिए देशवासियों का हित सर्वोपरि रहेगा।

संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उनके लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा उनकी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे। वे जगत कल्याण की भावना के साथ, सबके विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगी। उन्होंने देशवासियों के हित को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि वे समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हैं कि इस पद पर कार्य करते हुए उनके हित सर्वोपरि होंगे।

राष्ट्रपति के तौर पर अपने निर्वाचन को लोकतंत्र की शक्ति बताते हुए उन्होने कहा कि ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। उनका निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। उनके लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी उनमें अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं।

देश के सभी पूर्व राष्ट्रपति को याद करते हुए उन्होने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर राम नाथ कोविन्द जी तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है। इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी उन्हें सौंपा है।

अपने पहले संबोधन में देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारा स्वाधीनता संग्राम उन संघर्षों और बलिदानों की अविरल धारा था जिसने आजाद भारत के लिए कितने ही आदशरें और संभावनाओं को सींचा था। पूज्य बापू ने हमें स्वराज, स्वदेशी, स्वच्छता और सत्याग्रह द्वारा भारत के सांस्कृतिक आदशरें की स्थापना का मार्ग दिखाया था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरू जी, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद जैसे अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी। रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी। संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था। सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी।

भाजपा के दिग्गज नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी के श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे कि देश के युवा जब आगे बढ़ते हैं तो वे सिर्फ अपना ही भाग्य नहीं बनाते बल्कि देश का भी भाग्य बनाते हैं। आज हम इसे सच होते देख रहे हैं। वे चाहती हैं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें।

भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मुर्मू ने सभी सांसदों और राज्यों की विधानसभाओं के विधायकों को हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें ये नया दायित्व मिला है। उन्होने कहा कि वे देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हैं जिनका जन्म आजाद भारत में हुआ है। उनकी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू हुई थी, कॉलेज जाने वाली अपने गांव की वो पहली बेटी बनी। वे जनजातीय समाज से हैं, और वार्ड काउंसिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर उन्हें मिला। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।

उन्होने कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है।

उन्होने कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत द्वारा दिखाए गए सामथ्र्य और हाल ही में हासिल की गई कोरोना वैक्सीन के 200 करोड़ डोज लगाने के कीर्तिमान का जिक्र करते हुए कहा कि इसने दुनिया भर में भारत का मान बढ़ाया है और दुनिया भारत को उम्मीदों से देख रही हैं।

देश के राष्ट्रपति के तौर पर पहले संबोधन से पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में ही उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस भव्य शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत सत्ता और विपक्ष के दोनों सदनों के सांसद और दिग्गज नेता मौजूद रहे। समारोह में भारत सरकार के मंत्री, राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख और सरकार के प्रमुख सैन्य और असैन्य अधिकारियों के साथ ही अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए। उन्होने हिंदी भाषा में राष्ट्रपति पद की शपथ ली और अपना पहला संबोधन भी हिंदी भाषा में ही दिया।

 

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   25 July 2022 1:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story