अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद मामले में मूल वादी एम सिद्दीकी के कानूनी वारिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका सोमवार को दाखिल की गई। 217 पन्नों की याचिका में मांग की गई कि संविधान पीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें कोर्ट ने 9 नवंबर को विवादित जमीन का फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया था।
Jamiat Ulema-e-Hind to file review petition in the Ayodhya land dispute case in Supreme Court today.
— ANI (@ANI) December 2, 2019
याचिका में कहा कि शीर्ष अदालत ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 14 प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया। मुस्लिम पक्षकारों ने भी शीर्ष अदालत के फैसले के 14 निष्कर्षों को चुनौती नहीं दी। इसके अलावा याचिका में कहा कि संवैधानिक फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावी रूप से बाबरी मस्जिद को नष्ट करने और भगवान राम के मंदिर का निर्माण करने की अनुमति दी है। मूल वादी सिद्दीकी की ओर से मौलाना सैयद अशद रशीदी ने शीर्ष अदालत में अयोध्या फैसले पर समीक्षा याचिका दायर की है।
याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1934, 1949 और 1992 में मुस्लिम समुदाय के साथ हुई नाइंसाफी को गैरकानूनी करार दिया, लेकिन उसे नजरअंदाज भी कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह इस मुद्दे की संवेदनशील प्रकृति के प्रति सचेत है और विवाद में इस मुद्दे पर चुप रहने की आवश्यकता को भी समझते हैं, ताकि हमारे देश में शांति और सद्भाव बना रहे। इस दौरान हालांकि यह भी कहा गया कि न्याय के बिना शांति नहीं हो सकती। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा करने की मांग की गई है।
जिलानी बोल, हमारी याचिका आज नहीं
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष (अयोध्या मामले में) पुनर्विचार याचिका दायर नहीं कर रहे हैं। हमने समीक्षा याचिका तैयार की है और हम इसे 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन दायर कर सकते हैं।
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB): We are not going to file the review petition (in the Ayodhya case) before Supreme Court today. We have prepared the review petition and we can do it any day before 9th December. pic.twitter.com/wrujXqrQUc
— ANI (@ANI) December 2, 2019
अयोध्या पर टकराव का माहौल बनाने की कोशिश में पर्सनल लॉ बोर्ड: नकव
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अयोध्या मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोग बिखराव और टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में हैं लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयोध्या का मुद्दा अब खत्म हो गया है और इसे अब उलझाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने सर्वसम्मति के फैसले में इस मामले को हल कर दिया है।
दोहरे मानदंड का परिचायक: रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद की ओर से अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की समीक्षा का फैसला दोहरे मानदंड का परिचायक है।हिंदुओं और मुस्लिमों को अब इस मसले से ऊपर उठ कर अर्थव्यवस्था मजबूत करने में जुट जाना चाहिए। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या मसले पर गठित मध्यस्थता समिति के भी सदस्य रहे हैं।
Created On :   2 Dec 2019 6:51 PM IST