FakeTRP: कमिश्नर परमबीर का दावा, रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल रोजाना 500 रुपए देकर बढ़वाते थे TRP, दो स्थानीय चैनल मालिक गिरफ्तार
- पैसा देकर फॉल्स टीआरपी कराया जाता था
- सुशांत के नाम पर प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा था
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शहर में आज (गुरुवार, 8 अक्टूबर) फर्जी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया है। मुंबई पुलिस ने कहा कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर TRP खरीदते थे। इन चैनलों की जांच की जा रही है। जबकि TRP के जोड़-तोड़ के मामले में गिरफ्तारी भी हुई है। पुलिस कमिश्नर ने प्रेस वार्ता में कहा कि पुलिस के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि पैसा देकर फॉल्स TRP का कराए जाने का रैकेट चलाया जा रहा था।
दर्शकों को पैसे देकर फर्जी तरीके से टीआरपी हासिल करने के मामले में मुंबई पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम विशाल भंडारी, बोमपल्लीरोया मिस्त्री, शिरीष पट्टनशेट्टी और नारायण शर्मा है। गिरफ्तार आरोपियों में दो चैनलों के मालिक जबकि दो हंसा के कर्मचारी हैं। आरोपियों के पास से और बैंक लॉकर से पुलिस ने साढ़े 28 लाख रुपए की रकम भी जब्त की है।
पुलिस के खिलाफ कई तरह का एजेंडा चलाया जा रहा था। मामले में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुंबई पुलिस ने बताया कि हमें ऐसी सूचना मिली कि पुलिस के खिलाफ फेक प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। फॉल्स TRP को लेकर क्राइम ब्रांच ने एक नए रैकेट का फंडाफोड़ किया है।
कमिश्नर ने बताया कि 30 से 40 हजार करोड़ रुपए के विज्ञापन टीवी इंडस्ट्री में आते हैं और TRP के आधार पर ही विज्ञापन के रेट तय किए जाते हैं। इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए एक संस्था BARC है। BARC ने इन बैरोमीटर की निगरानी के लिए एक करार किया है। पुलिस ने बताया कि हंसा नाम की कंपनी के कुछ पूर्व कर्मचारी कुछ चैनलों के साथ इस डेटा से छेड़छाड़ कर रहे थे। वे डेटा में हेरफेर करने में संलिप्त थे। वे कुछ घरों में कुछ चैनलों को रखने के लिए कहते थे भले ही वे घर पर न हों। पुलिस के अनुसार, कुछ मामलों में यह भी पाया गया कि अशिक्षित घरों को अंग्रेजी चैनल देखने के लिए कहा गया था।
पुलिस ने कहा कि हमने इस केस में अब तक 2 लोगों को गिरफ्तार किया है और उन्हें अदालत में पेश किया गया है और हमें उनकी हिरासत मिल गई है। पुलिस ने कहा कि आरोपी कुछ परिवारों को रिश्वत देते थे और उन्हें अपने घर पर कुछ चैनल चलाए रखने के लिए कहते थे। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि एक आरोपी के पास से 20 लाख रुपये जब्त किए गए जबकि बैंक लॉकर में 8।5 लाख रुपये पाए गए। हमारी जानकारी में हमें सबूतों के संबंध में 3 ऐसे चैनल मिले हैं जो इसमें शामिल थे। 3 में से 2 के नाम हैं फखत मराठी और बॉक्स सिनेमा। ये दोनों छोटे चैनल हैं। इन चैनलों के मालिकों को हिरासत में ले लिया गया है।
पुलिस का दावा है कि जिन घरों में टीआरपी मीटर लगे हुए हैं वहां खास चैलन चलाने के लिए रह महीने लोगों को 400 से 500 रुपए दिए जाते थे। देशभर में करीब 30 हजार घरों में टीआरपी जांचने के लिए बैरोमीटर लगे हुए हैं जिनमें से आरोपियों ने करीब 2 हजार घरों की रेटिंग पैसे देकर प्रभावित किया। सिंह का दावा है कि कई मामलों में पाया गया कि जिन परिवारों को अंग्रेजी बोलनी या समझनी नहीं आती उनके घर भी ज्यादातर समय अंग्रेजी चैनल चल रहे थे। दरअसल टीआरपी के आधार पर ही चैनलों को देखने वालों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है और इसी आधार पर चैनलों को विज्ञापन मिलता है जो चैनलों की कमाई की मुख्य जरिया हैं। देश में चैनलों का कुल कारोबार मौजूदा समय में 32 हजार करोड़ रुपए का है।
फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के मालिकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मुंबई पुलिस आयुक्त सिंह ने बताया कि इस मामले में रिपब्लिक टीवी के निदेशकों और आला अधिकारियों से पूछताछ होगी और जरूरत पड़ने पर उनके खाते सील किए जा सकते हैं। आम तौर पर जिन घरों में टीआरपी के लिए बैरोमीटर लगे होते हैं उनकी जानकारी गुप्त रखी जाती है। लेकिन हंसा कंपनी के कर्मचारियों को इसकी जानकारी थी। पुलिस को शक है कि कंपनी के मौजूदा कर्मचारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं। जिन लोगों को टीआरपी प्रभावित करने के लिए पैसे दिए गए थे उन्होंने पुलिस से पूछताछ में बताया कि उन्हें यह कहा गया था कि वे टीवी पर ज्यादातर समय कुछ खास चैनल चला कर रखें भले ही वे वह चैनल न देख रहे हों। मामले में कांदिवली पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। रिपब्लिक चैनल से जुड़े लोगों पर पुलिस जल्द ही शिकंजा कसेगी। साथ ही पुलिस इस बात का भी पता लगा रही है कि क्या दूसरे चैनल भी टीआरपी के इस गोरखधंधे में शामिल थे।
Created On :   8 Oct 2020 4:22 PM IST