सीबीआई जांच के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज
- दो पैराग्राफ हटाने की गुहार लगाई थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से पुलिस अधिकारियों के तबादले, तैनाती और एक पुलिस अधिकारी की बहाली से संबंधित दो पैराग्राफ हटाने की गुहार लगाई थी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और एम आर शाह की पीठ ने देशमुख और सीबीआई दोनों की दलीलें सुनीं और याचिका खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत इसमें हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं दिखता। हाईकोर्ट के फासले में भी कोई त्रृटि नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील अमित देसाई ने अपनी दलील में कहा कि राज्य में जांच करने के लिए सीबीआई के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग केवल राज्य की पूर्व सहमति से ही किया जा सकता है। दूसरी ओर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने त र्क दिया कि जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित है और कोई भी वैधानिक अधिनियम संवैधानिक न्यायालय की शक्ति को बाहर या कम नहीं कर सकता।
पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता राहुल चिटनिस से पूछा कि जब संवैधानिक अदालत ने सीबीआई की जांच को मंजूरी दी है, तो इस कोर्ट को सीबीआई जांच में क्यों दखल देनी चाहिए। पीठ ने कहा कि सीबीआई को आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करनी है और हम उन्हें सीमित नहीं कर सकते। यह एक संवैधानिक अदालत की शक्तियों को नकारने जैसा होगा। सीबीआई जांच का विरोध करने से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री को बचाने का प्रयास कर रही है।
बता दें कि देशमुख के खिलाफ दर्ज एफआईआर में सीबीआई ने कहा है कि सचिन वाझे को पुलिस महकमें में लेने और पुलिस अधिकारियों के तबादले में पूर्व गृहमंत्री की भूमिका थी। इन दो मुद्दों को एफआईआर में से हटाने के लिए राज्य सरकार ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ये दोनों मुद्दे मंत्रालय और प्रशासकीय कार्यवाही का हिस्सा है। इसलिए एफआईआर में इन मुद्दों को शामिल करके सीबीआई अनावश्यक जांच करना चाहती है। इतना ही नहीं मविआ सरकार को अस्थिर करने के लिए ही सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया है
Created On :   18 Aug 2021 7:20 PM IST