कोरोना पर मंथन: राहुल से बोले हेल्थ एक्सपर्ट- लॉकडाउन से वायरस रुकता नहीं, सिर्फ तैयारी का मौका देता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना संकट के इस दौर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार एक्टिव हैं और संक्रमण के रोकथाम के लिए उठाए गए सरकार के कदमों पर सवाल उठा रहे हैं। कोरोना से निपटने के उपाय और अर्थव्यवस्था से लेकर कई मुद्दों पर कांग्रेस नेता विशेषज्ञों से बात भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में राहुल गांधी ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर बुधवार को दुनिया के दो बड़े स्वास्थ्य पेशेवरों (healthcare experts) के साथ चर्चा की। राहुल ने वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल आशीष झा और प्रसिद्ध स्वीडिश एपिडेमियोलॉजिस्ट जोहान गिसेके के साथ कोरोना लॉकडाउन से जुड़े कई सवालों पर बातचीत की।
Watch Shri @RahulGandhi"s conversation with health experts Prof. Ashish Jha, Dean of Brown University School of Public Health Prof. Johan Giesecke, member of Strategic Technical Advisory Group for Infectious Hazards of WHO. #RahulGandhiSpeaksForIndiahttps://t.co/PxCNuhcXED
— Congress (@INCIndia) May 27, 2020
कोरोना के बाद की दुनिया होगी नई किताब
राहुल गांधी ने कहा, कोरोना वायरस को एक जगह पर नहीं रोका जा सकता, ऐसे में केंद्र से राज्य को ताकत देनी चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर लड़ाई हो सके। वायरस का सीधा असर आर्थिक, स्वास्थ्य और दुनिया के सिस्टम पर सीधा पड़ा है। लोग कहते हैं 9/11 नया अध्याय था, लेकिन अब कोरोना के बाद की दुनिया नई किताब होगी। राहुल की इस बात का समर्थन करते हुए प्रोफेसर झा ने कहा, कोरोना आने के बाद ग्लोबल ऑर्डर बदल चुका है। आज यूरोप के बड़े देश, अमेरिका किस हालात में आ गए हैं।
चर्चा में कोविड-19 वायरस की प्रकृति, इसके परीक्षण की रणनीति और महामारी के बाद की दुनिया की कल्पना सहित वायरस व अन्य कई विषयों को शामिल किया गया। राहुल गांधी ने हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा से सवाल किया कि, लॉकडाउन पर उनका क्या विचार है? इससे मनोविज्ञान पर फर्क पड़ता है, ये कितना मुश्किल है?
लॉकडाउन से केवल वायरस का प्रसार होगा कम
जवाब में प्रोफेसर झा ने कहा- कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन को लेकर कई तरह के विचार हैं, लॉकडाउन से वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है। इसके लिए टेस्टिंग जरूरी है। हालांकि लॉकडाउन से वायरस नहीं रुकता यह आपको अपनी क्षमता बढ़ाने और तैयारियों के लिए वक्त देता है। क्योंकि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर बड़ी चोट मिल सकती है। अगर लॉकडाउन का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया गया, तो इससे बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है।
लॉकडाउन का लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा
प्रोफेसर आशीष झा ने कहा, लॉकडाउन एक मकसद नहीं है लेकिन यह संक्रमित व्यक्तियों को गैर-संक्रमित से अलग रखने का समय है, जब आप व्यापक रूप से आक्रामक तरीके से जांच नहीं कर सकते। लॉकडाउन का लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ा है। लॉकडाउन आपका समय लेता है, लेकिन लॉकडाउन स्वयं के लिए लक्ष्य नहीं है। आप उस समय का उपयोग वास्तव में बेहतर जांच, ट्रेसिंग जैसे बुनियादी ढांचे को तैयार करने के लिए कर सकते हैं। आप उस समय का उपयोग लोगों से संवाद करने के लिए करना चाहते हैं।
Corona MP: मप्र में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7000 के पार, अब तक 305 लोगों की मौत
लॉकडाउन के होंगे हानिकारक आर्थिक नतीजे
हार्वर्ड प्रोफेसर का कहना है कि जबरदस्त तरीके से परीक्षण, ट्रेसिंग और क्वारंटाइन सहायक है। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो आपको सब कुछ लॉकडाउन करना होगा। क्या आप लॉकडाउन से वायरस को धीमा कर सकते हैं? बेशक आप कर सकते हैं। लेकिन हानिकारक आर्थिक नतीजे होंगे।
लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी होगी बहुत अलग
आशीष झा ने कहा कि लॉकडाउन करने का कारण यह है कि आप वायरस के प्रसार को धीमा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह एक नया वायरस है। मानवता ने इस वायरस को पहले नहीं देखा था। इसका मतलब है कि हम सभी संदिग्ध हैं। हम सभी अतिसंवेदनशील आबादी हैं। जांच के बगैर छोड़ देने पर यह तेजी से फैलेगा। इसे रोकने का तरीका संक्रमित लोगों को गैर-संक्रमितों से दूर रखना है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी बहुत अलग होगी। यह पिछले मई या जून की तरह जीवन में वापस जाने के बारे में नहीं है। अगले 6-12-18 महीनों में यह जीवन बहुत अलग दिखने वाला है।
अगले साल तक आएगी वैक्सीन
कोरोना की वैक्सीन कब तक में आएगी? राहुल के इस सवाल पर प्रो. आशीष झा ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि अगले साल तक वैक्सीन आ जाएगी।
"Yeh bhaiya bataiye ki vaccine kab aayegi?," Rahul Gandhi to public health expert Prof Ashish Jha, to which Jha says, "I am very confident a vaccine will come by next year". pic.twitter.com/xBUb6zLXKI
— ANI (@ANI) May 27, 2020
कोरोना पर गर्मी का असर बहुत कम
राहुल गांधी ने पूछा, ये तर्क दिए जा रहे हैं कि गर्मी से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा, इसको लेकर आप क्या कहेंगे?
प्रोफेसर झा ने जवाब दिया, कहा जा रहा है कि BCG वैक्सीन से कोरोना मरीज ठीक हो सकते हैं, लेकिन मेरे हिसाब से यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि अभी इस पर मंथन चल रहा है। रिसर्च के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि कई तरह के सबूत हैं कि मौसम से कोरोना वायरस की रफ्तार पर फर्क पड़ता है। लोग बाहर अधिक रहते हैं तो कोरोना अधिक फैलता है, लेकिन गर्मी से संक्रमण पूरी तरह रुक जाएगा, ऐसा तर्क भी पूरी तरह सही नहीं।
रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी के साथ राहुल ने की चर्चा
बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी कोविड-19 संकट से निपटने के लिए अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों के विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों से बातचीत कर चुके हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ चर्चा की थी। राहुल ने कोरोना संकट को लेकर मंगलवार को मोदी सरकार पर मिशाना साधते हुए कहा था कि, कोविड-19 महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन पूरी तरह से विफल रहा है।
Created On :   27 May 2020 9:32 AM IST