वन नेशन वन इलेक्शन पर विधि आयोग ने बुलाई सभी दलों की बैठक

Law panel To Consult Political Parties On Simultaneous Elections
वन नेशन वन इलेक्शन पर विधि आयोग ने बुलाई सभी दलों की बैठक
वन नेशन वन इलेक्शन पर विधि आयोग ने बुलाई सभी दलों की बैठक
हाईलाइट
  • देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के संबंध में विधि आयोग ने देश के सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है।
  • पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए ये प्रयास किया जा रहा है।
  • 7 और 8 जुलाई को होने वाली विधि आयोग की इस बैठक में 7 राष्ट्रीय और 59 क्षेत्रीय पार्टियां शामिल होंगी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के संबंध में विधि आयोग ने देश के सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए ये प्रयास किया जा रहा है। 7 और 8 जुलाई को होने वाली विधि आयोग की इस बैठक में 7 राष्ट्रीय और 59 क्षेत्रीय पार्टियां शामिल होंगी। बता दें कि इस बैठक में विधि आयोग एक रिपोर्ट पेश करेगा जिसमें दो महीने पूर्व आम जनता, संस्थान, एनजीओ और नागरिक संगठनों के साथ सभी स्टेकहोल्डर से सुझाव मांगे थे। इस मीटिंग में प्रश्नावली जारी होने से एक महीने पूर्व चुनाव आयोग के साथ मीटिंग कर विधि आयोग ने तकनीकी और संवैधानिक उपायों की बारीकियों पर चर्चा की थी। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक के बाद एक बड़ा फैसला सामने आ सकता है। 

 

 

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एक साथ चुनाव कराने के लिए राजनीतिक दलों के विचार जानने के लिए विधि आयोग की तरफ से पिछली बार किए गए प्रयास पर उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। किसी भी राजनीतिक दल ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने पर विधि आयोग के कार्यपत्र पर जवाब नहीं दिया था, लेकिन इस बार ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि ज्यादातर दल इस पर अपनी सहमति दें दे। हालांकि साल 2012 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी एक साथ चुनाव का सुझाव दिया था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी एक साथ चुनाव कराए जाने को सही बता चुके हैं। 

 

 

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एकल चुनाव प्रणाली को लेकर आयोग का मानना है कि इसके लिए लोकसभा नियमावली में धारा 198 A जोड़ी जा सकती है। ऐसा ही नियम राज्य की विधानसभा नियमावली में भी जोड़ा जा सकता है। आयोग की पेशकश है कि त्रिशंकु विधानसभा या लोकसभा की स्थिति में दल-बदल कानून के पैराग्राफ 2 (1)(ब) को अपवाद मानने का संशोधन किया जाए। संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 के साथ ही जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धाराएं 14 और 15 में संशोधन कर लोकसभा और विधानसभा के मध्यावधि चुनाव सिर्फ बची हुई अवधि के लिए शासन संभालने के लिए करने का प्रावधान कराया जा सकता है।

 

 

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बता दें कि एक साथ चुनाव के पीछे पीएम मोदी का तर्क था कि देश हमेशा इलेक्शन मोड में रहता है। एक चुनाव खत्म होता है तो दूसरा शुरू हो जाता है। मेरा विचार है कि देश में एक साथ यानी 5 साल में एक बार संसदीय, विधानसभा, सिविक और पंचायत चुनाव होने चाहिए। एक महीने में ही सारे चुनाव निपटा लिए जाएं। इससे पैसा, संसाधन, मैनपावर तो बचेगा ही, साथ ही सिक्युरिटी फोर्स, ब्यूरोक्रेसी और पॉलिटिकल मशीनरी को हर साल चुनाव के लिए 100-200 दिन के लिए इधर से उधर नहीं भेजना पड़ेगा। एकसाथ चुनाव करा लिए जाते हैं तो देश एक बड़े बोझ से मुक्त हो जाएगा। 

 

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नीति आयोग की मसौदा रिपोर्ट में राष्ट्रहित के मद्देनज़र 2024 से लोकसभा और विधानसभाओं के लिये एक साथ दो चरणों में चुनाव करवाने की बात कही गई है। पहला चरण 2019 में 17वें आम चुनाव के साथ तथा दूसरा 2021 में, 17वीं लोकसभा के मध्य में कुछ विधानसभाओं की अवधि को घटा कर तथा कुछ की अवधि को बढ़ा कर किया जा सकता है। चूँकि फिलहाल कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही, इसलिये नीति आयोग ने इसे 2024 से लागू करने का संकेत दिया है। नीति आयोग ने इन सिफारिशों का अध्ययन करने और इस संबंध में मार्च 2018 की समय सीमा तय करने के लिये चुनाव आयोग को नोडल एजेंसी बनाया है।

 

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Created On :   3 July 2018 4:07 AM GMT

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