India-China Dispute: दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित क्षेत्र में भारत का कब्जा, चीन ने चुमार में घुसपैठ की कोशिश की, भारतीय जवानों ने खदेड़ा
- चीनी सैनिकों ने सोमवार को भी पैंगोंग झील के भारतीय इलाके में आने की कोशिश की
- बातचीत के बीच चीनी सैनिक लगातार भारतीय सैनिकों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं
- बातचीत से लद्दाख में चल रहे गतिरोध को सुलझाने का दिखावा कर रहा है चीन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन की घुसपैठ की कोशिशें बढ़ती जा रही हैं। लद्दाख के चुमार में आज एक बार फिर चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि भारतीय सेना ने चीन के मंसूबों को नाकाम कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना सात से आठ बख्तरबंद गाड़ियों के साथ थी। सूत्रों के अनुसार चीनी सेना के लगभग 7 से 8 भारी वाहनों को उनके चेपुजी शिविर से एलएसी के भारतीय हिस्से की ओर आते हुए देखा गया। इसके बाद भारतीय जवानों ने घुसपैठ को रोकने के लिए उचित तैनाती की। भारत की ओर से गाड़ियों को आता देख चीनी वाहनों का काफिला वापस लौट गया।
सेना के सूत्रों के मुताबिक, दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित इलाके में पूरी तरह से भारत का कब्जा है। यहां की कई चोटियों पर आर्मी मौजूद है। सेना की तरफ से यह भी कहा गया है कि चोटियों पर हमारे जवान इसलिए काबिज हैं, क्योंकि LAC को लेकर भारत की स्थिति एकदम साफ है। आर्मी के सूत्रों ने यह भी बताया कि हमने मुश्किल समझे जाने वाले स्पांगुर गैप, स्पांगुर झील और इसके किनारे की चीनी सड़क पर भी कब्जा कर लिया है। चीन लद्दाख सीमा पर कई चोटियों पर अपना दावा करता रहा है। वह पैंगॉन्ग सो झील के पूरे दक्षिणी हिस्से और स्पांगुर गैप पर भी कब्जा करना चाहता था, ताकि बढ़त हासिल कर सके।
चीनी सैनिकों ने 31 को घुसपैठ करने की कोशिश की थी
बता दें कि चीन एक ओर जहां डिप्लोमैटिक और कमांडर लेवल की बातचीत कर लद्दाख में स्थिति को सुधारने की कोशिश का ढोंग कर रहा है। वहीं चीनी सैनिक लगातार भारतीय जवानों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि 31 अगस्त को जब दोनों देशों के ग्राउंड कमांडर मामले को सुलझाने के लिए चर्चा कर रहे थे, तब भी चीनी सैनिकों ने हालात बिगाड़ने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना ने तुरंत एक्शन लेते हुए उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पैंगोंग झील के दक्षिण में की थी घुसपेठ
रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक नोट जारी कर चीन की धोखेबाजी के बारे में बताया था। इसके मुताबिक 29-30 अगस्त की रात चीन के करीब 500 सैनिकों ने एक पहाड़ी पर कब्जे की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हमारी सेना शांति चाहती है, लेकिन अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना भी जानते हैं।
चीन ने जताया विरोध, ब्रिगेडियर स्तर की बैठक भी रही बेनतीजा
सूत्रों ने बताया कि चीन ने भारत की ओर से की गई कार्रवाई का राजनयिक और सैन्य, दोनों स्तरों पर विरोध दर्ज कराया है। चुशूल में ब्रिगेडियर कमांडर स्तर की बैठक में चीनी पक्ष ने आधिकारिक तौर पर विरोध जताया। वहीं बताया जा रहा है कि यह बैठक पूरी तरह से बेनतीजा रही है।
चीनी अधिकारियों के सामने भारत ने उठाई बात
भारतीय विदेश मंत्रालय भी मंगलवार को मंत्रालय ने कहा कि 31 अगस्त को जब दोनों पक्षों के ग्राउंड कमांडर स्थिति को बेहतर करने के लिए चर्चा कर रहे थे, तब चीनी सैनिक फिर से पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर उत्तेजक कार्रवाई में लगे थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने राजनयिक और सैन्य दोनों ही स्तरों पर चीनी पक्ष के साथ हाल की उत्तेजक और आक्रामक कार्रवाइयों की बात उठाई है। मंत्रालय ने कहा है कि हमने उनसे इस तरह की उत्तेजक कार्रवाई को लेकर अपने सैनिकों को अनुशासित और नियंत्रित करने का आग्रह किया है।
विदेशमंत्री जयशंकर ने सेना प्रमुखों के साथ की बैठक
उधर, चीन से जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजित डोभाल, CDS जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख शामिल हुए। ये बैठक करीब दो घंटे चली।
चीन की चाल: भारतीय चोटी बम्प हिल पर कब्जा चाहता था
सेना के अधिकारियों ने बताया कि चीन का इरादा अपने इलाके की ब्लैक टॉप नाम की पहाड़ी के सामने वाली भारतीय चोटी पर कब्जा करना था। इसके बाद चुशूल के बड़े इलाके में चीन की पकड़ मजबूत हो सकती थी। चीन के सैनिक उस निचले इलाकों में डटे हुए हैं, जो 3 चोटियों पर बैठे भारतीय सैनिकों की निगरानी में है। वहीं चीन ने उल्टा दोष मढ़ते हुए कहा है कि भारतीय सैनिकों ने वार्ता में बनी आम सहमति का ध्यान नहीं रखा। हम मांग करते हैं कि भारत अपने सैनिकों को पीछे हटाए।
कैलाश-मानसरोवर झील के किनारे चीन की मिसाइलें तैनात
न्यूज एजेंसी के मुताबिक चीनी सेना ने लद्दाख से लगे होतान एयरबेस पर जे-20 फाइटर प्लेन तैनात किए हैं। कैलाश-मानसरोवर झील के किनारे जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं। आर्मी और डिप्लोमैटिक लेवल की कई राउंड की बातचीत के बावजूद चीन पूर्वी लद्दाख के फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा इलाकों से पीछे नहीं हट रहा। चीन के सैनिक 3 महीने से फिंगर एरिया में जमे हुए हैं। अब उन्होंने बंकर बनाने और दूसरे अस्थायी निर्माण करने भी शुरू कर दिए हैं।
15 जून को गलवान घाटी में हुई थी हिंसक झड़प
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद यह पहली बड़ी घटना थी। गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस झड़प में चीन के सैनिक भी मारे गए, लेकिन उसने इस संबंध में अब तक जानकारी साझा नहीं की है। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।
Created On :   1 Sept 2020 11:41 PM IST