Explainer: भारतीय मेजर के एक बयान से क्यों बौखलाया पाकिस्तान? जानिए इस देश की बलूचिस्तान पर अवैध कब्जे की कहानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों ट्विटर पर भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर गौरव आर्या की लाइव शो की एक क्लिपिंग बहुत वायरल हो रही है। लाइव शो में मेजर पाकिस्तान से कह रहे हैं कि हंदवाड़ा मुठभेड़ के शहीदों का बलूचिस्तान में बदला लिया जाएगा। बलूचिस्तान फ्रीडम फाइटर्स उनके लगातार संपर्क में है और अगले 10-15 दिनों में पाकिस्तान को जवाब मिल जाएगा। मेजर के इस दावे के बाद 8 मई को साउथ बलूचिस्तान में एक लैंड माइन ब्लास्ट में 6 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने ट्विटर पर मेजर गौरव की इस क्लिपिंग को शेयर करते हुए कहा कि दो दिन पहले मेजर ने लाइव शो में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमले की भविष्यवाणी की थी और ईरान की बॉर्डर के पास पाकिस्तानी फोर्स पर हमला हो गया। इस मामले को यूनाइटेड नेशन ले जाना चाहिए। पाकिस्तान में कई जगहों पर मेजर गौरव के पुतलों को फांसी पर लटकाकर प्रदर्शन भी किया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं बलूचिस्तान के बारे में वो सब कुछ जो आपके जानने लायक है।
Pakistanis, you can hang and burn my effigy, but one day Balochistan will be free.
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) May 12, 2020
And that day India and Balochistan will stand together as equals in the comity of nations. pic.twitter.com/63loaKl4lq
It was an open threat made by Major Rtd Gaurav Arya on Indian channel Republic TV two days ago he predicted an attack on Pakistani forces in Baluchistan in 10-15 days and today there was an attack on Pakistani forces near Iranian border Pakistan must take up the issue with @UN pic.twitter.com/IgYWcXw1ry
— Hamid Mir (@HamidMirPAK) May 8, 2020
पाकिस्तानी आर्मी ने बलूचिस्तान को नरसंहार सेंटर बना दिया
जिस तरह पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से पर और गिलगित बाल्टिस्तान पर कब्जा कर रखा है उसी तरह एक इलाका है बलूचिस्तान। इस इलाके को मैप पर ढूंढना बहुत आसान है। इसकी सीमाएं ईरान और अफगानिस्तान से लगती है। 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने इस आजाद मुल्क को धोखे से अपने कब्जे में ले लिया था। इस कब्जे के बाद यह पाकिस्तान के चार प्रांतों में से सबसे बड़ा प्रांत बन गया और शुरू हुआ पाकिस्तान के बेइन्तेहा जुल्म का सिलसिला। पाकिस्तानी आर्मी ने बलूचिस्तान को नरसंहार सेंटर बना दिया। पाकिस्तान के इस जुल्म के खिलाफ और आजादी की मांग को लेकर बलूचों ने 1948 में ही हथियार उठा लिए थे और आजादी की ये लड़ाई आज भी जारी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलूचिस्तान के लोगों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा उठाया था। इकोनॉमी के लिहाज से भी पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान काफी महत्वपूर्ण है। क्यों और कैसे, आगे बताएंगे:
पाकिस्तान के सोने की खान की तरह है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान का क्षेत्र पाक के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के सोने की खान की तरह है। यह खनिजों के मामले में काफी रईस है इसलिए इस क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर पाकिस्तान बहुत अधिक निर्भर है। पाकिस्तान की कुल प्राकृतिक गैस का एक तिहाई यहीं से निकलता है। इसके अलावा सोने और कॉपर का अपार भंडार यहां मौजूद है। चीन का दखल भी इस इलाके पर काफी ज्यादा है। यहां ग्वादर बंदरगाह है, जो पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। इस इलाके में पिछले करीब दो दशक से चीन की कंपनियां बिना रोकटोक के अपना काम कर रही हैं। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट बताती है कि कॉपर-गोल्ड सेंडेक प्रोजेक्ट से 2004-08 के दौरान चीन की कंपनी ने करीब 633.573 मिलियन का व्यापार किया था। इसमें से केवल दो फीसद बलूचिस्तान सरकार को उसके शेयर के रूप में दिया गया। इसके अलावा 48 फीसद पर पाकिस्तान सरकार का कब्जा रहा और 50 फीसद चीन के खजाने में चला गया।
ना तो विकास है, ना पढ़ाई और ना कमाई
प्राकृतिक संसाधनों से रइस होने के बावजूद यहां के लोगों की हालत बेहद खराब है। यहां ना तो विकास है, ना पढ़ाई और ना कमाई। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा और गरीब प्रांत है। इसकी राजधानी क्वेटा है। 2017 के सेंसस के हिसाब से यहां की जनसंख्या 12.34 मिलियन है। यहां की आबादी में बलूच बहुसंख्यक हैं। ब्राहुई और पश्तून भी यहां रहते हैं। बलूची, उर्दू, पाश्तो और ब्राहुई भाषा यहां बोली जाती है। इस प्रांत को छह डिविजनों में विभाजित किया गया है - क्वेटा, कलात, नसीराबाद, मकरान, सिबी और ज़ोब। इन छह डिविजनों को 34 जिलों में विभाजित किया गया है। यहां की अधिकांश आबादी अनपढ़ है, कुपोषित है जो बिजली और स्वच्छ पेयजल के बिना रहती है। बिजली, पानी और पर्याप्त परिवहन सुविधाओं के अभाव के कारण यहां एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट भी नहीं हो सका। बलूचिस्तान प्रांत में साक्षरता का स्तर बहुत दयनीय है क्योंकि सौ में से केवल 27 वयस्क ही साक्षर हैं। वयस्क साक्षरता दर में पुरुषों की संख्या 38% और महिलाओं की संख्या केवल 13% है। इन सब के अलावा पाकिस्तान सरकार का बलूच लोगों पर अत्याचार हालात को और भी गंभीर बना देता है।
मानवाधिकार उल्लंघन की सारी हदें पार
बलूच नेताओं का आरोप है कि इस इलाके में पाकिस्तान सुरक्षा बलों ने मानवाधिकार उल्लंघन की सारी हदें पार कर दी है। पाकिस्तानी सेना बलूच लोगों को मार तो रही ही है, महिलाओं से रेप किया जाता है और इन्हें रेप सेल में डाल दिया जाता है। बलूचों को टॉर्चर करने के लिए भी सेल बना रखे हैं। पाकिस्तानी हुक्मरानों ने हजारों बलूच राष्ट्रवादियों को हिरासत में ले रखा है। पाकिस्तान के इस जुल्मों सितम के खिलाफ 1948 से लड़ाई जारी है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, लश्कर-ए-बलूचिस्तान और बलूच लिबरेशन युनाइटेड फ्रंट वहां ख़ासी सक्रिय हैं। ये संगठन स्वतंत्र देश चाहते हैं। आए दिन पाकिस्तान आर्मी और इन संगठनों के बीच खूनी संघर्ष की खबरें भी आती रहती है। बलोच आंदोलन को पाक सेना ने हमेशा ताकत से कुचलने की कोशिश की है। 2006 में जनरल परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में बलोच आंदोलन के नेता नवाब अकबर बुग्ती की सेना ने हत्या कर दी थी। लोगों को उठा लेना और फिर उनकी लाशें मिलना वहां आम बात है।
कैसे पाकिस्तान ने एक आजाद मुल्क को बनाया गुलाम?
अब हम आपको बताते हैं बलूचिस्तान के इतिहास के बारे में। कैसे पाकिस्तान ने एक आजाद मुल्क को अपना गुलाम बना लिया। इसे जानने के लिए हमे इतिहास में पीछे जाना होगा। भारत पिछले 15,000 वर्षों से अस्तित्व में है। अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। "अखंड भारत" कहने का अर्थ यही है। भारत 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है और पाकिस्तान 14 अगस्त को। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 11 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान को भी अंग्रेजों से आजादी मिली थी। वो बात अलग है कि बाद में पाकिस्तान ने यहां जबरन कब्जा कर लिया था। भारत-पाकिस्तान के विभाजन में तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्र होंगे। उस वक्त करीब 565 रियासतों को आजादी दी गई कि वो भारत या पाकिस्तान में विलय कर लें या फिर एक स्वतंत्र देश बनाए।
27 मार्च 1948 को पूरे बलूचिस्तान पर कब्जा
ब्रिटिश राज के अंतर्गत बलूचिस्तान में चार रियासतें शामिल थीं। ये रियासतें थीं कलात, लासबेला, खारान और मकरान। हालांकि इन रियासतों पर ब्रटिश साम्राज्य का कभी भी सीधा शासन नहीं रहा। इन रियासतों को यह अधिकार दिया कि ये भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश के साथ विलय कर सकती है या फिर स्वयं को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर सकते हैं। मकरान, लासबेला और ख़रान ने तो मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में पाकिस्तान में अपना विलय कर लिया, लेकिन कलात के मीर अहमद खान ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। उसके बाद जिस तरह से पाकिस्तान के पश्तूनों ने कश्मीर पर अटैक कर दिया था उसी तरह पाकिस्तानी आर्मी ने 4 महीने के भीतर समझौता तोड़कर कलात के खान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया। 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने पूरे बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया।
Created On :   14 May 2020 5:05 PM IST