कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती कई दिनों से बीमार चल रहे थे और कांचीपुरम के एक हॉस्पिटल में एडमिट थे, जहां उन्होंने बुधवार को आखिरी सांस ली। जयेंद्र सरस्वती पर वर्धराज पेरूमल मंदिर के मैनेजर शंकररमन की हत्या का आरोप भी लगा था। बता दें कि जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य बनाए गए थे।
The 69th Acharya of Sri Kanchi Kamakoti Peetam Jagadguru Pujyashri Jayendra Saraswathi Shankaracharya Swamigal attained Siddhi at 9.00 am today - Shukla Trayodashi - 28 Feb. 2018 at Sri Kanchi Kamakotii Peetam Sankara Matam, Kanchipuram.
— KanchiMutt (@KanchiMatham) 28 February 2018
कौन थे जयेंद्र सरस्वती?
जयेंद्र सरस्वती को शंकाराचार्य बनाए जाने से पहले सुब्रमण्यम अय्यर के नाम से जाना जाता था। उनका जन्म 18 जुलाई 1935 को तमिलनाडु के कांचीपुरम में हुआ था। कांचीपुरम मठ के 68वें शंकराचार्य श्री चंद्रशेखर सरस्वती स्वामीगल ने 22 मार्च 1954 को उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। जयेंद्र सरस्वती ने 1983 में शंकर विजयेंद्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। बता दें कि कांचीपुरम मठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने 5वीं शताब्दि में की थी। ये मठ कई स्कूल, क्लीनिक और हॉस्पिटल भी चलाता है।
जयेंद्र सरस्वती पर लगा था हत्या का आरोप
कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती पर 2004 में वर्धराज पेरूमल मंदिर के मैनेजर शंकररमन की हत्या का आरोप लगा था और इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया था। 9 साल तक इस केस का ट्रायल चला और 2013 में उन्हें बरी कर दिया गया था। जयेंद्र सरस्वती पर आरोप था कि उनके इशारे पर ही मंदिर कैंपस में शंकररमन की 3 सितंबर 2004 को हत्या की गई। इस में जयेंद्र सरस्वती के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हो पाया था, जिसके बाद उन्हें शंकररमन की हत्या के मामले में बरी कर दिया गया था। बता दें कि इस केस की सुनवाई के दौरान 189 में से 80 गवाह अपने बयान से पलट गए थे।
क्या है कांचीपुरम पीठ?
कांची कामकोठी पीठ तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित है और ये 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना की गई। माना जाता है कि कांचीपुरम में सती का कंकाल गिरा था और इसी कारण यहां कांची कामकोठी पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकाराचार्य ने की थी। यहां पर देवी कामाक्षी का भव्य मंदिर है, जहां कामाक्षी देवी की विशाल मूर्ति है। जयेंद्र सरस्वती के निधन के बाद अब शंकर विजयेंद्र सरस्वती कांचीपुरम पीठ के 70वें शंकराचार्य होंगे।
Created On :   28 Feb 2018 10:28 AM IST