जस्टिस चेलामेश्वर ने CJI को लिखी चिट्ठी, कहा- सरकारी दखल से लोकतंत्र को खतरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में नंबर-2 के जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने एक बार फिर से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में जस्टिस चेलामेश्वर ने ज्यूडीशियरी में सरकारी दखल को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने लिखा कि सरकार और ज्यूडीशियरी के बीज जरूरत से ज्यादा दोस्ती लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इस बारे में उन्होंने फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की भी मांग की है। 21 मार्च को लिखी गई ये चिट्ठी CJI के अलावा सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को भी भेजी गई है। बता दें कि जस्टिस चेलामेश्वर उन 4 जजों में शामिल थे, जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
जस्टिस चेलामेश्वर ने क्यों लिखी चिट्ठी?
दरअसल, ये पूरा मामला कर्नाटक के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट के जज पी. कृष्णा भट से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जज भट को अगस्त 2016 में हाईकोर्ट में अपॉइंट करने की मंजूरी दी थी, लेकिन एक जज ने भट पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद अप्रैल 2017 में एक बार फिर से जज भट को हाईकोर्ट में अपॉइंट करने का फैसला लिया और कानून मंत्रालय को भी इस बारे में जानकारी दी गई। नियम के मुताबिक, अगर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम किसी जज को हाईकोर्ट में अपॉइंट करने की सिफारिश दो बार कर देता है, तो उसे अपॉइंट करना जरूरी होता है, लेकिन जज भट को अभी तक अपॉइंट नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को कानून मंत्रालय की तरफ से आदेश दिया गया है कि जज भट के मामले की जांच कराई जाए, जबकि वो पहले ही निर्दोष साबित हो चुके हैं। माना जा रहा है कि इसी मामले को लेकर जस्टिस चेलामेश्वर ने CJI दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है।
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— priyank dwivedi (@priyank_dwivedi) March 30, 2018
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जस्टिस चेलामेश्वर ने चिट्ठी में क्या लिखा?
- जस्टिस चेलामेश्वर ने चिट्ठी में लिखा है कि "पिछले दिनों जजों के अपॉइंटमेंट को लेकर कॉलेजियम की सिफारिश को लेकर कॉलेजियम से बात करने की बजाय कानून मंत्रालय ने सीधे कर्नाटक हाईकोर्ट से बात की। मंत्रालय ने कॉलेजियम से कोई बात नहीं की और सीधे कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश मिश्रा को लेटर लिखकर उस अधिकारी (जज पी. कृष्णा भट) के खिलाफ जांच फिर से शुरू करने के लिए कहा और जज ने भी उनकी बात मान ली।"
- उन्होंने लिखा "ये फैसला न केवल उस जांच के नतीजों को भी खारिज करता है, जिसमें उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी। इसके साथ ही सरकार का ये फैसला कॉलेजियम की सिफारिशों को भी नजरअंदाज करता है।"
- जस्टिस चेलामेश्वर ने लिखा "मुझे ऐसा कोई औ मामला याद नहीं है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को नजरअंदाज कर सीधे हाईकोर्ट से उन आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया है, जो सुप्रीम कोर्ट की जांच में पहले ही गलत साबित हो चुके हैं।"
- जस्टिस चेलामेश्वर ने लिखा "अगर सरकार को उनके (जज पी. कृष्णा भट) अपॉइंटमेंट को लेकर कोई दिक्कत या असहमति थी, तो वो कॉलेजियम से किसी दूसरे जज के नाम की सिफारिश करने के लिए कह सकती थी।"
- उन्होंने आखिरी में लिखा कि "ये हमारा दुखद अनुभव है कि ऐसा कम ही होता है, जब सरकार हमारे किसी सुझाव पर हामी भरती है।"
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कौन है जस्टिस चेलामेश्वर?
जस्टिस जे. चेलामेश्वर का पूरा नाम जस्ती चेलामेश्वर है। जस्टिस चेलामेश्वर का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जुलाई 1953 को हुआ था। जस्टिस चेलामेश्वर ने मद्रास लोयला कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने 1976 में लॉ की पढ़ाई की आंध्र यूनिवर्सिटी से की। इसके बाद 13 अक्टूबर 1995 को चेलामेश्वर एडिशनल एडवोकेट जनरल बने। 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनने से पहले जस्टिस चेलामेश्वर गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। जस्टिस चेलामेश्वर ने जजों की अपॉइंटमेंट को लेकर नेशनल ज्यूरिडिक्शन अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) का समर्थन भी किया था और वो कई बार कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना भी कर चुके हैं।
जजों को कैसे किया जाता है अपॉइंट?
सुप्रीम कोर्ट के जज और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नामों की सिफारिश कॉलेजियम करता है। इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के ही 4 सीनियर जज रहते हैं। कॉलेजियम एक्सपीरियंस और सीनियॉरिटी के आधार पर ही जजों के नाम तय करता है और इन नामों को मंजूरी के लिए कानून मंत्रालय के पास भेजा जाता है। फिलहाल, कॉलेजियम में सीजेआई दीपक मिश्रा के साथ-साथ जस्टिस जे चेलमेश्र्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। बता दें कि कॉलेजियम के पास ये राइट रहता है कि वो सीनियर एडवोकेट को सीधे जज भी बना सकता है।
Created On :   30 March 2018 8:51 AM IST