जोशीमठ जैसी ही मुसीबत से जूझ रहा झारखंड का झरिया, बसा बसाया घर छोड़ 12 हजार परिवार दूसरी जगह होंगे शिफ्ट, आग के गोले में तब्दील हो रहा झरिया

Jharia Jharkhands Jharia disaster similar to Joshimath, 12 thousand families will be shifted to safer places
जोशीमठ जैसी ही मुसीबत से जूझ रहा झारखंड का झरिया, बसा बसाया घर छोड़ 12 हजार परिवार दूसरी जगह होंगे शिफ्ट, आग के गोले में तब्दील हो रहा झरिया
झरिया कोयला खदान जोशीमठ जैसी ही मुसीबत से जूझ रहा झारखंड का झरिया, बसा बसाया घर छोड़ 12 हजार परिवार दूसरी जगह होंगे शिफ्ट, आग के गोले में तब्दील हो रहा झरिया
हाईलाइट
  • 12 हजार परिवारों को अगले कुछ महीने के अंदर ही दूसरी जगह शिफ्ट करने जा रही है

डिजिटल डेस्क,रांची। जोशीमठ समस्या से केंद्र सरकार अभी उभरी नहीं कि इसी बीच झारखंड के धनबाद जिले के झरिया में स्थित कोयला खदान से चिंतित कर देने वाली खबर सामने आई है। झरिया में ऐसे करीब 600 स्थानों को चिन्हित किया गया है, जो खतरों से भरे हैं। जिसके एवज में केंद्रीय कोयला सचिव और झारखंड के मुख्य सचिव ने कोल इंडिया, जिला प्रशासन और बीसीसीएल से जुडे़ अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें 70 ऐसे स्थानों को भी चयनित किया गया है, जो बहुत ही खतरनाक हैं। इन स्थानों में कभी भी बड़े हादसे होने की संभावना बनी हुई है। सरकार खतरे को देखते हुए झरिया में बसे 12 हजार परिवारों को अगले कुछ महीने के अंदर ही दूसरी जगह शिफ्ट करने जा रही है।

70 है बेहद संवेदनशील इलाके 

सरकार यह कदम स्थानीय लोगों की सुरक्षा को देखते हुए उठाने जा रही है। झरिया के ऐसे 595 स्थानों की पहचान की गई है जहां बीते कुछ वर्षों से भू-धंसाव और आग लगने की घटना घटती आ रही है। आने वाले तीन महीने में 12 हजार परिवारों के 60 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाना है। झरिया में अवैध रूप से रह रहे 9 हजार परिवारों, 1900 रैयतधारियों और करीब 500 बीसीसीएल कर्मियों को भी शिफ्ट किया जाना है।

पहचान की गई 70 संवेदनशील इलाकों में बरोर, कतरास, पुटकी, बलिदारी, सिजुआ, लोदना, और बस्ताकोला जैसे अन्य इलाके हैं। इन इलाकों में अक्सर आग लगने और भू-धंसाव जैसी समस्याएं आती रहती हैं। स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। जिसमे लोगों को त्वचा और श्वास जैसी गंभीर बिमारियां हैं। 

एक्शन मोड में केंद्र सरकार

झरिया के अनेक इलाकों में आग लगने और भू-धंसाव की वजह से कई लोगों की जाने जा चुकी हैं। इसी का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का निर्देश दे दिया है। जिसको लेकर केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने लोगों को दूसरे जगह सावधानीपूर्वक ले जाने के लिए कई उच्चस्तरीय बैठकें की हैं। जिससे लोगों को बिना किसी परेशानी के अन्य जगह पर शिफ्ट किया जा सके। कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि झरिया की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

किसी बड़ी अनहोनी के होने से पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाना होगा। साथ ही ऐसे स्थानों पर लोगों को शिफ्ट किया जाएगा, जहां मूलभूत सुविधाएं हो। जिनमें स्कूल, अस्पताल, शुद्ध पेयजल, रहने के लिए घर, जैसे तमाम सुख सुविधाएं उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि अगले 6 महीने के अंदर लोगों को दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा।

खनन करते समय ध्यान नहीं दिया गया

भारत का सबसे बड़ी कोयला खदान झारखंड के झरिया में स्थित है। स्थानीय लोगों की अधिकांश आबादी कोयला खदानों में ही काम करती है। भूमिगत कोयला खदान में खनन कार्य के लिए कई नियम होते हैं। हालांकि, इन नियमों को ताक पर रख कर खनन को अंजाम दिया गया। जिसकी वजह से ये समस्याएं स्थानीय लोगों के सामने आई हैं। दरअसल, अगर किसी स्थान से कोयला  खनन किया जाता है, तो उसमें मिट्टी की भराई करना अनिवार्य होता है, लेकिन झरिया में ऐसा नहीं हुआ।

वहीं कोयला के लिए जमीन के अंदर भारी विस्फोट किए गए, जिससे भू-धंसान जैसी समस्या उत्पन्न हुई। जिसकी वजह से झरिया के भूमिगत कोयला खदानों में आग लग गई, और इसे बुझाने का प्रयास भी नहीं किया गया। जिसके बाद झरिया के इलाके में भू-धंसाव और आग लगने की घटना सामने आने लगी। आलम यह है कि लोगों के घरों और आंगन में भी भू-धंसाव जैसी समस्याएं होने लगी हैं। जिसका ध्यान रखते हुए अब केंद्र सरकार महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है, लोगों को खतरे वाले स्थान से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का कार्य करने वाली है।

 

Created On :   13 Jan 2023 4:52 PM IST

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