आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को लेकर भारत ने एशिया को दिया संदेश
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खतरे के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में एशिया में वार्ता और विश्वास निर्माण उपाय सम्मेलन यानी कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स इन एशिया (सीआईसीए) की छठी मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
जयशंकर ने आतंकवाद से किसी भी देश को होने वाले भयंकर नुकसान के बारे में चेताते हुए कहा, अतिवाद, कट्टरपंथ, हिंसा और कट्टरता का इस्तेमाल हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकने वाला कोई भी आकलन बहुत ही अदूरदर्शी है। ऐसी ताकतें उन लोगों को परेशान करने के लिए वापस आएंगी, जो उनका पालन-पोषण करते हैं। स्थिरता की कमी कोविड को नियंत्रण में लाने के हमारे सामूहिक प्रयासों को भी कमजोर करेगी।
उन्होंने कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव के साथ सीआईसीए के विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक में यह बात कही। विदेश मंत्री ने बहुराष्ट्रीय मंच पर पांच अन्य महत्वपूर्ण बिंदु भी रखे, जिसका उद्देश्य एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में सहयोग बढ़ाना है। जैसा कि सर्वविदित है कि चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के माध्यम से क्षेत्रों के कई देशों में प्रवेश कर रहा है, जयशंकर ने जोर देकर कहा कि वाणिज्य की आधुनिक धमनियों के निर्माण के लिए कनेक्टिविटी परियोजनाओं को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सबसे बुनियादी सिद्धांत का पालन करना चाहिए, जिसमें संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान भी होना चाहिए।
जयशंकर ने आगे कहा, राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान उनमें सबसे प्रमुख है। यह भी महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी बिल्डिंग वित्तीय व्यवहार्यता और स्थानीय स्वामित्व के आधार पर एक सहभागी और सहमतिपूर्ण अभ्यास है। उन्हें अन्य एजेंडे पर काम नहीं करना चाहिए। विदेश मंत्री ने भारत के अंतर्राष्ट्रीयवाद पर भी प्रकाश डाला और हमेशा दुनिया को एक परिवार के रूप में देखते हुए भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इसी अवधारणा पर चलते हुए भारत अत्यधिक सफल वैक्सीन मैत्री पहल को चला रहा है।
जयशंकर ने कहा, हमारा विश्वास विभिन्न तरीकों से व्यक्त किया जाता है, जिसमें चुनौतियों का सामना करना और एक साथ समाधान खोजना शामिल है। यह स्पष्ट रूप से कोविड महामारी के दौरान साक्ष्य रहा है, जब हमने 150 से अधिक देशों को टीके, दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति के साथ-साथ विशेषज्ञता प्रदान की है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सतत विकास के लिए एक स्थायी जीवन शैली की आवश्यकता होती है और महामारी के बाद की दुनिया को लचीला और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला, अधिक विश्वास तथा पारदर्शिता एवं विकास के अतिरिक्त इंजन की आवश्यकता होती है। मंत्री ने कहा, महामारी और जलवायु परिवर्तन दोनों के लिए वास्तविक और ईमानदार अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
(आईएएनएस)
Created On :   13 Oct 2021 6:30 PM IST