Republic Day: रोचक है भारत के संविधान का इतिहास, इस बार मनाया जाएगा 71वां गणतंत्र दिवस
- इस साल सेलिब्रेट किया जाएगा 71 वां गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस पर होती है 8 किमी की परेड
- रोचक है संविधान बनने का इतिहास
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। हर साल की तरह इस साल भी हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट कर रहे हैं। इस साल हम 71वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। यह दिन हमारे लिए बहुत खास है, क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसे बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। इस संविधान की वजह से ही हम अपनी बेहतर जिंदगी जी पा रहे हैं। इसके अंतर्गत इंसान को वे सारे अधिकार दिए गए हैं, जो किसी भी इंसान के जीवन यापन के लिए जरुरी है। इस वजह से हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ बातें।
ऐसा था संविधान का इतिहास
अगर हम इसके इतिहास की बात करें तो यह बहुत ही रोचक है। 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद संविधान बनने का सिलसिला शुरू हुआ। संविधान बनाने के लिए एक समिति की स्थापना की गई, जिसका कार्य संविधान लिखना या कानून बनाना था। 9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई और कानून बनाने का जिम्मा डॉक्टर भीम राव अंबेडकर को दिया गया। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को उस वक्त संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद संविधान बनने की प्रक्रिया का दौर चलता रहा। करीब 2 साल 11 महीने और 18 दिन की मेहनत के बाद संविधान को बनाया जा सका और 26 जनवरी 1950 को इसे अधिकारिक रुप से लागू कर दिया गया। 26 जनवरी 1950 को ही हमारे देश को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया।
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भारत का राष्ट्रीय पर्व
यह हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है, इसलिए इसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के हर कोने में झंडावंदन किया जाता है। स्कूल कालेजों में विशेष आयोजन किया जाता है। भव्य रेलियां निकाली जाती हैं। वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं। इस बार गणतंत्र दिवस परेड के नए आकर्षण धनुष 145 एमएम 52 कैलिबर होवित्जर तोप रहेगी जिसे हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। DRDO की ओर से एंटी सैटेलाइट वेपन सिस्टम का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
इस दिन से जुडे़ महत्वपूर्ण तथ्य
- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 मिनट पर लागू किया गया था। पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए ही इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
- गणतंत्र दिवस पर देश के राजपथ पर होने वाली परेड 8 किलोमीटर की होती है। इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है। उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किले पर समाप्त होती है।
- बता दें 26 जनवरी की पहली परेड राजपथ के बजाय तत्कालीन इर्विन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। उस वक्त स्टेडियम में चार दीवारी नहीं थी, जिससे लाल किला साफ नजर आता था।
- 26 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की ये सलामी राष्ट्रगान की शुरूआत से शुरू होती है और 52 सेकेंड के राष्ट्रगान के खत्म होने के साथ पूरी हो जाती है।
- गणतंत्र दिवस को शौर्यता वीरता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन पर उन लोगों को वीरता पुरस्कार दिया जाता है, जो देश के लिए बहादुरी का काम करते हैं।
Created On :   24 Jan 2020 3:02 PM IST