चीन पर सख्त भारत: सरकारी खरीद में चाइनीज कंपनियों की एंट्री बैन, विदेश मंत्रालय ने कहा- LAC पर एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगा भारत
- राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण लिया फैसला
- सरकारी खरीद में चाइनीज कंपनियों की एंट्री बैन
- विदेश मंत्रालय ने कहा- चीन ने आपसी समझौतों की पूर्ण अवहेलना की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लद्दाख में जारी सीमा विवाद के बीच केंद्र सरकार चीन के खिलाफ एक के बाद एक कड़े फैसले ले रही है। ताजा फैसले के तहत केंद्र सरकार ने सरकारी खरीद में चाइनीज कंपनियों की एंट्री बैन कर दी है। मतलब, केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से किसी भी तरह की सरकारी खरीद में चाइनीज कंपनियां बोली में शामिल नहीं हो सकती हैं। वहीं गुरुवार को भारत विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह चीन के साथ एलएसी पर यथास्थिति में बदलाव के किसी भी एकतरफा कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेगा। साप्ताहिक ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, भारत एलएसी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उसका सम्मान करता है और हम एलएसी में किसी भी प्रकार के एकतरफा यथास्थिति में बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण लिया फैसला
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जनरल फाइनैंशल रूल्स 2017 में संशोधन किया है जो उन देशों के बोलीदाताओं पर लागू होता है, जिनकी सीमा भारत से सटती है। इसका सीधा असर चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल जैसे देशों पर होगा। व्यय विभाग ने भारत की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक खरीद पर एक विस्तृत आदेश जारी किया है। नए नियम के तहत भारत की सीमा से सटे देशों से बोली लगाने वाली कंपनिंया गुड्स और सर्विस (कंसल्टेंसी और नॉन-कंसल्टेंसी) की बोली लगाने के लिए तभी योग्य माने जाएंगे जब वे कॉम्पीटेंट अथॉरिटी से रजिस्टर्ड होंगी। कॉम्पीटेंट अथॉरिटी का गठन डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) की तरफ से किया जाएगा। इसके लिए विदेश और गृह मंत्रालय से भी मंजूरी जरूरी है।
यहां-यहां आदेश लागू
सरकार का यह आदेश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) और सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं को जिसे सरकार या इसके उपक्रमों से वित्तीय सहायता मिलता हो, उसपर लागू होता है। केंद्र ने राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को लिखित आदेश में कहा है कि राज्य सरकारें भी राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम रोल निभाती हैं। ऐसे में सरकार ने संविधान के आर्टिकल 257(1) को लागू करने का फैसला किया है। मतलब सरकार का यह आदेश राज्य सरकार और संटेट अंडरटेकिंग के प्रोक्योरमेंट पर भी लागू होता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा- चीन ने आपसी समझौतों की पूर्ण अवहेलना की
भारत ने कहा कि चीन के साथ 1993 से सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए आपसी सहमति और समझौते हुए हैं। लेकिन चीन ने एलएसी पर बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती, एलएसी के प्रारुप को बदलने वाला दावा और सैनिकों के व्यवहार में आए बदलाव (हिंसक झड़प) के साथ इस समझौतों की अवहेलना करके अन्याय कर रहा है। यह आपसी समझतों को न मानना है। अनुराग श्रीवास्तव ने साफ कहा कि सीमा क्षेत्र में शांति और सद्भाव की स्थापना दी दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते का आधार है। भारत हमेशा से इसका पक्षधर रहा है और चीन को इसका आदर करना चाहिए।
रक्षात्मक रुख से थोड़ा बाहर आना चाहिए
चीन के साथ लद्दाख क्षेत्र में बने तनाव को लेकर पूर्व विदेश सचिव शशांक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षात्मक रुख से थोड़ा बाहर निकालना चाहिए।एयरवाइस मार्शल(पूर्व) एनबी सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल(पूर्व) बलविंदर सिंह संधू का भी कहना है कि रक्षात्मक तरीके से समाधान निकलने की संभावना कम नजर आ रही है। एनबी सिंह के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद माना है कि बातचीत के जरिए वह समाधान निकलने की गारंटी नहीं दे सकते। उन्होंने वायुसेना की कमांडर कांफ्रेस के दौरान भी चुनौती से निबटने के लिए तैयार रहने को कहा है। भारतीय कूटनीति और रक्षा विशेज्ञज्ञों का मानना है कि भारत को अब अन्य विकल्पों पर गंभीरता के साथ सोचना चाहिए।
चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में 40 हजार जवानों की तैनाती की
एक दिन पहले रिपोर्ट में सामने आया था कि चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव कम करने की कोशिश नहीं कर रहा है। इसके अलावा चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 40 हजार जवानों की तैनाती पूर्वी लद्दाख सेक्टर में जारी है। विवाद वाली जगहों पर चीन का इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। इसके अलावा यहां एयर डिफेंस सिस्टम, बख्तरबंद गाड़ियां और तोपें भी मौजूद हैं।
गलवान में चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीले तारों से हमला किया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा जवान भी मारे गए थे। हालांकि, चीन ने ये कबूला नहीं था।
Created On :   24 July 2020 1:29 AM IST