भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 12वां दौर की बातचीत करीब 9 घंटे चली, दोनों ने सैन्य गतिरोध को हल करने के तरीकों पर चर्चा की
- बैठक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के चाइनीज साइड मोल्डो में हुई
- भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 12वां दौर की बातचीत
- ये बैठक करीब नौ घंटे तक चली और शाम 07.30 बजे खत्म हुई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच शनिवार को कोर कमांडर स्तर की 12वां दौर की बातचीत हुई। ये बैठक करीब नौ घंटे तक चली और शाम 07.30 बजे खत्म हुई। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के बीच चल रहे सैन्य गतिरोध को हल करने के तरीकों पर चर्चा की। यह बैठक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के चाइनीज साइड मोल्डो में हुई।
इस उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में कुछ फ्रिक्शन एरिया में डिसएंगेजमेंट प्रोसेस को आगे बढ़ाना था। इसमें हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट क्षेत्र शामिल है। 3.5 महीने से अधिक के अंतराल के बाद ये बातचीत हुई है। सैन्य वार्ता का 11वां दौर 9 अप्रैल को LAC के भारतीय हिस्से में चुशुल बॉर्डर पॉइंट पर हुआ था और यह लगभग 13 घंटे तक चला था।सूत्रों के मुताबिक बैठक में भारतीय पक्ष ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि वह डी-एस्केलेशन के लिए तभी सहमत होगा जब यह एक साथ हो और सैनिकों की वापसी बराबर हो।
भारत और चीन पिछले साल अप्रैल-मई से सैन्य गतिरोध में हैं और अभी तक डी-एस्केलेशन फॉर्मूला नहीं ढूंढ पाए हैं। हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा हाइट्स सहित कुछ फ्रिक्शन पॉइंट्स पर अभी भी तनाव बना हुआ है। भारतीय और चीनी पक्षों ने सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर कई दौर की बातचीत की है, लेकिन पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी दोनों किनारों पर दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों की सीमित पारस्परिक वापसी को छोड़कर, कोई खास सफलता नहीं मिली है।
22 जुलाई को विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि विदेश मंत्री (EAM) एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष के साथ हाल की बैठक में सहमति व्यक्त की कि सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता के अगले दौर को जल्द से जल्द बुलाया जाना चाहिए। एस जयशंकर ने 14 जुलाई को दुशांबे में एससीओ फॉरेन मिनिस्टर मीटिंग के मौके पर स्टेट काउंसलर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने इस मीटिंग में सैन्य कमांडर स्तर की अगले दौर की वार्त को जल्द से जल्द बुलाने पर सहमति व्यक्त की थी।
उन्होंने बताया था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि भारत और चीन को शेष सभी मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और "पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान" की तलाश करनी चाहिए। बागची ने बताया था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि एलएसी पर मौजूदा स्थिति को लंबा करना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह रिश्ते को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
Created On :   31 July 2021 9:19 PM IST