इतना खुश हूं कि, लग रहा मानो समुद्र में तैर रहा हूं

I am so happy that I feel as if I am swimming in the sea
इतना खुश हूं कि, लग रहा मानो समुद्र में तैर रहा हूं
सारंगीवादक लाखा खान ने कहा इतना खुश हूं कि, लग रहा मानो समुद्र में तैर रहा हूं
हाईलाइट
  • लाखा खान ने कहा कि मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं
  • सरंगी वादक लाखा खान पद्मश्री से हुए सम्मानित

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान लोक संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सारंगीवादक लाखा खान मंगलवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित हुए। लाखा खान देश के एकमात्र प्यालेदार सिंधी सारंगीवादक हैं जो कई भाषाओं में गाने के लिए मशहूर हैं। 71 वर्षीय लाखा खान को संगीत कला क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए पुरस्कार मिला जिसपर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए आईएएनएस को बताया कि, मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं, देश के प्रथम व्यक्ति ने हमें सम्मानित किया है। मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे फिलहाल ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं एक समुद्र में तैर रहा हूं।

8 वर्ष की उम्र से गाना शुरू किया और 12 वर्ष की उम्र में पिता ने सारंगी सिखाना शुरू कर दी थी, 16 वर्ष की उम्र में सारंगी सिख गया। करीब 60 सालों से अधिक समय से मैं सारंगी बजा रहा हूं। लाखा खान मुल्तानी, सिंधी, पंजाबी, हिंदी और मारवाड़ी भाषा में पकड़ बनाये हुए हैं। वहीं इन भाषओं में वह लोक गीत भी गा चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि, इससे पहले देश के विभिन्न जगहों पर मेरे योगदान के लिए सम्मान दिया जा चुका है। इसके अलावा विदेशों में भी अपने हुनर को दिखाने का मौका मिला है। दरअसल उन्होंने अपने लोक गीत का ऐसा जलवा बिखेर रखा है कि जापान, रूस, इंग्लैंड आदि देशों में उनके बहुत चाहने वाले लोग हैं। वह अमरीका भी कई बार जा चुके हैं।

लाखा खान के मुताबिक, उनके यहां करीब 25 पीढ़ियों से सिर्फ गाने बजाने का रिवाज ही रहा है। इसके अलावा वह कविता भी सुनाते हैं। लाखा खान अपनी पुरखों की विरासत को संभाले हुए हैं और अपने घराने की एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। इस खास मौके पर उन्होंने देश के लोगों को संदेश देते हुए कहा कि, संगीत की तरह आपके शब्दों में भी सुर होना चाहिए। इन्ही शब्दों का इस्तेमाल कर लोगों से बात करना चाहिए। ताकि लोगों को आपके द्वारा कही बात अच्छी लगे और देश में एक बहार बनी रहे। मांगणयार समुदाय के इस कलाकार ने भजन के अलावा सूफी कलाम भी गाए हैं। वहीं विभिन्न प्रसिद्ध कलाकरों के साथ मंच भी साझा कर चुके हैं। जिनमें पद्मश्री साकरखां ( कमायचा वादक) एवं पंडित कृष्णमोहन भट्ट (सितार वादक) आदि शामिल हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   9 Nov 2021 8:30 PM IST

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