ISRO कैसे कर रहा लैंडर 'विक्रम' से संपर्क की कोशिश? पढ़िए ये रिपोर्ट..

How ISRO is trying to contact chandrayaan-2 lander Vikram
ISRO कैसे कर रहा लैंडर 'विक्रम' से संपर्क की कोशिश? पढ़िए ये रिपोर्ट..
ISRO कैसे कर रहा लैंडर 'विक्रम' से संपर्क की कोशिश? पढ़िए ये रिपोर्ट..
हाईलाइट
  • ISRO अभी तक विक्रम से संपर्क करने में असफल रहा है
  • ISRO कैसे कर रहा विक्रम से संपर्क की कोशिश?
  • ISRO ने कहा
  • लैंडर से संपर्क स्थापित करने के सारे संभव प्रयास किए जा रहे हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को भले ही विक्रम लैंडर की लोकेशन मिल गई हो, लेकिन अब तक वह विक्रम से संपर्क करने में असफल रहा है। मंगलवार को इसरो ने एक बार फिर बयान जारी कर कहा कि लैंडर से संपर्क स्थापित करने के सारे संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इसरो किस तरह से लैंडर से संपर्क की कोशिश कर रहा है?

ISRO कैसे कर रहा विक्रम से संपर्क की कोशिश?
इसरो, लैंडर विक्रम की फ्रिक्वेंसी पर हर दिन अलग-अलग कमांड भेज रहा है। हालांकि अभी तक लैंडर की तरफ से किसी भी तरह का रिस्पॉन्स इसरो को नहीं मिला है। बेंगलुरु के करीब बयालू डीप स्पेस नेटवर्क में स्थापित 32-मीटर एंटीना का उपयोग कर यह कमांड भेजा जा रहा है। इसरो इसके अलावा ऑर्बिटर की मदद से भी लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।

विक्रम कैसे देगा रिस्पॉन्स?
विक्रम पर तीन ट्रांसपोंडर और एक फेस्ड अरे एंटीना लगा हुआ है। लैंडर को सिग्नल रिसीव करने, इसे समझने और वापस भेजने के लिए इनका उपयोग करना होगा। विक्रम का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूटे 72 घंटों से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अब तक वह दोबारा कम्यूनिकेशन स्थापित करने में सफल नहीं हो पाया है। अभी तक इसरो ने आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया है कि क्या ये सिस्टम अच्छी स्थिति में हैं या वे क्षतिग्रस्त हो गए हैं?

क्या विक्रम के पास पावर/एनर्जी है?
विक्रम के सौर पैनल उसकी बॉडी के बाहर लगे हुए हैं। अगर वह सॉफ्ट लैंडिंग करता तो सूर्य की ऊर्जा और पावर जनरेट कर लेता। इसके अलावा विक्रम के पास बैटरी सिस्टम भी है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि लैंडर इस पॉइंट पर बिजली पैदा कर रहा है या नहीं? इसरो ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। एक हार्ड लैंडिंग इन प्रणालियों में से कुछ को नुकसान पहुंचा सकती है। इसरो अभी भी डेटा का विश्लेषण कर रहा है।

कब तक इसरो कोशिश कर सकता है?
इसरो के प्री-लॉन्च अनुमानों के अनुसार, लैंडर केवल एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) के लिए सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर सकता है। इसलिए इसरो इन 14 दिनों तक विक्रम से संपर्क की कोशिश करता रह सकता है। 14 दिनों के बाद ठंड की एक लंबी रात होगी, जिसके बाद लैंडर के सिस्टम के ठीक तरह से काम करने की संभावना ना के बराबर है।

चंद्रमा से 2.1 किमी ऊपर टूट गया था संपर्क
बता दें कि चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल से संपर्क टूटने के एक दिन बाद रविवार को ISRO ने इसकी लोकेशन का पता लगा लिया था। इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा था, "हमें चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज क्लिक की है, लेकिन अभी तक कोई कम्यूनिकेशन नहीं हो सका है।

जिस समय शनिवार की सुबह संपर्क टूटा था, विक्रम चंद्रमा की सतह से लगभग 2 किमी ऊपर था। यह लगभग 60 मीटर/सेकंड की स्पीड से यात्रा कर रहा था और लगभग 48 मीटर/सेकंड पर वर्टीकली नीचे आ रहा था।

इसरो के एक अधिकारी ने कहा था कि विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की है लेकिन वह सही सलामत है। उन्होंने कहा था, कम्यूनिकेशन स्थापित करने के लिए विक्रम के एंटिना को ग्राउंड स्टेशन या ऑर्बिटर की ओर रहना होगा। उन्होंने कहा था, इस तरह का ऑपरेशन बेहद मुश्किल है, लेकिन अभी भी संभावनाएं बनी हुई है।

अधिकारी ने ये भी कहा था कि विक्रम के लिए बिजली पैदा करना समस्या नहीं है, क्योंकि  उसके चारों ओर सौर पैनल लगे हैं। इसमें एक इंटरनल बैटरी भी है जिसका अधिक उपयोग नहीं किया गया है। विक्रम में तीन पेलोड लगे हैं। मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA), चंद्रा सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट (chaSTE) और इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (ILSA)।

 

Created On :   10 Sept 2019 4:36 PM IST

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