5 संतों को राज्यमंत्री बनाने पर हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब, थमाया नोटिस
डिजिटल डेस्क,इंदौर। शिवराज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने पर इंदौर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। सोमवार को इन्दौर बेंच की डिविजन बेंच में दायर याचिका पर सुनवाई की गई। बता दें मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सरकार ने 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्ज दिया था।
कंप्यूटर बाबा और अन्य 4 साधु-संतों के साथ मिलकर नर्मदा नदी के संरक्षण और रखरखाव को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले थे। इस मामले में अदालत ने सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा है कि किस आधार पर इन संतों को मंत्री पद से नवाजा गया है। संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर शिवराज सिंह चौहान के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। पत्रकार राम बहादुर शर्मा नाम ने याचिका दायर करते हुए सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।
राज्यमंत्री बनने के बाद बदले गए हैं संतों के बगावती सुर
याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच के न्यायधीश गण जस्टिस श्री पी. के. जायसवाल, जस्टिस श्री सुशील कुमार अवस्थी ने सुनवाई कर शासन को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह मे जवाब देने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता के वकील गौतम गुप्ता ने कहा कि याचिका में इस बात का हवाला दिया गया था कि संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने की संवैधानिक वैधता क्या है और साथ ही उन्होंने संतों के पड़ के लिए योग्य होने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि शिवराज सरकार ने जिन 5 धर्मगुरुओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, उनमें कंप्यूटर बाबा, नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैयू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं। इन संतों में वे संत भी शामिल हैं जिन्होंने शिवराज सरकार के खिलाफ काफी समय से मोर्चा खोल रखा था, और सभी सरकार के खिलाफ नर्मदा आन्दोलन छेड़ने वाले थे। लेकिन सरकार ने इससे पहले उन्हें राज्यमंत्री बना दिया। जिसके बाद से इन संतों के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं।
Created On :   9 April 2018 6:35 PM IST