जीएसटी काउंसिल की बैठक खत्म: राज्यों के GST में कमी पर नहीं बनी बात, वित्तमंत्री बोलीं- केंद्र सरकार नहीं उठा सकती है राज्यों के लिए कर्ज
- इससे पहले 5 अक्टूबर को हुई थी काउंसिल की बैठक
- केंद्र के प्रस्ताव से 21 राज्य सहमत
- बाकी असहमत
- मुआवजे को लेकर GST काउंसिल की हुई तीसरी बैठक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) में राज्यों को दिए जाने वाले मुआवजे का विवाद सोमवार को हुई 43वीं जीएसटी परिषद की बैठक में नहीं हो सका। बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों की जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए कोई आम सहमति नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि देश के 21 राज्य ऑप्शन-वन से सहमत हैं, जबकि बाकी राज्य केंद्र के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। इस पर बाकी राज्यों से चर्चा के बाद फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि 50 साल के लिए लोन सुविधा की सभी राज्यों ने तारीफ की।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव कानून के दायरे में है, लेकिन अगर कुछ राज्यों को मंजूर नहीं है तो फिर आगे देखते हैं अब क्या समाधान निकलता है। केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करने वाले राज्यों में दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु शामिल हैं। बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है, क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई।
बता दें कि सोमवार को निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्य के वित्त मंत्रियों में शामिल काउंसिल ने तीसरी बार इस मद्दे पर चर्चा की गई। निर्मला सीतारमण ने सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उनके साथ वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद रहे। इस बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी थे। साथ में केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में थे।
कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति
इससे पहले 5 अक्टूबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा था कि हम राज्यों को मुआवजे की राशि से इनकार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है। ऐसी स्थिति की पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी। मौजूदा हालात इस तरह का नहीं है कि केंद्र सरकार फंड पर कब्जा करके बैठी है, और देने से इनकार कर रही है। फंड उधार लेना होगा।
कम्पनसेशन सेस आगे भी जारी
वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी और कई अन्य तरह की वस्तुओं पर लगने वाले कम्पनसेशन सेस को जून-2022 से भी आगे बढ़ाया जाएगा। यानी कार, सिगरेट जैसे प्रोडक्ट पर कम्पनसेशन सेस आगे भी लगता रहेगा, राज्यों को नुकसान से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। नियम के मुताबिक यह जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ पांच साल तक लगना था। गौरतलब है कि राज्य करीब 2।35 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी का बकाया मुआवजा देने की केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं। इसके बदले में केंद्र ने उन्हें उधार लेने के दो विकल्प दिए हैं, लेकिन केंद्र की इस पेशकश को लेकर राज्य बंटे हुए हैं।
क्या है मुआवजे का गणित
राज्यों का करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार का गणित यह है कि इसमें से करीब 97,000 करोड़ रुपए का नुकसान ही जीएसटी लागू होने की वजह से है, बाकी करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से है।
Created On :   12 Oct 2020 11:16 PM IST