भारत छोड़ो आंदोलन की पूरी कहानी, यहां जानिए गौरवशाली दिन का इतिहास
- भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। ऐसा माना जाता है कि भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था। जिसमें सभी भारतीयों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था। कई स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत होकर भी लड़े। यह आंदोलन ऐसे समय में शुरू किया गया जब द्वितीय विश्व युद्ध जारी था। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 8 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में बैठक की और भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई थी कि भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता व लोकतंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत आवश्यक हो गई हैं। भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा और साम्राज्यवाद तथा फासीवाद का विरोध करता रहेगा।
क्या था क्रिप्स मिशन ?
दूसरा विश्व युद्ध आरंभ हो चुका था और मित्र राष्ट्र हारने लगे थे। यह भी माना जाने लगा था कि जापान भारत पर हमला करेगा। मित्र देश अमेरिका ,रूस व चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाव डाल रहे थे कि वह भारतीयों का समर्थन प्राप्त करें। अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने स्टेफोर्ड क्रिप्स को 1942 में भारत भेजा, इसी को क्रिप्स मिशन के नाम से जाना जाता है। भारतीयों की मांग पू्र्ण स्वराज थी, जबकि ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वराज नहीं देना चाहती थी। वह भारत की सुरक्षा अपने हाथों में रखना चाहती थी और साथ ही गवर्नर जनरल के वीटो के अधिकार को भी बनाए रखने के पक्ष में थी। भारतीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत
9 अगस्त 1942 को गांधी जी के आह्वान पर एक साथ पूरे देश में भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल बज गया। इस आंदोलन ने गांव से लेकर शहर तक ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी। इसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और जनता ने नेतृत्व अपने हाथ में लिया। भारत छोड़ो आंदोलन को `अगस्त क्रांति` के नाम से भी जाना जाता है।
गांधी ने दिया था `करो या मरो` का नारा
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित होने के बाद ग्वालियर टैंक मैदान में गांधी जी ने कहा कि, "एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको देता हूं। इसे आप अपने हृदय में अंकित कर लें और सांस में उसे अभिव्यक्त करें। यह मंत्र है `करो या मरो`। अपने इस प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करेंगे या फिर जान दे देंगे।" इस तरह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान `अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन` एवं `करो या मरो` भारतीयों का नारा बन गया।
ऑपरेशन ज़ीरो ऑवर
ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी समेत कांग्रेस के सारे बड़े नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए एक स्पेशल ऑपरेशन चलाया। ब्रिटिश हुकूमत के इस ऑपरेशन को ऑपरेशन जीरो ऑवर का नाम दिया गया था। गांधी जी को पुणे के आगा खां पैलेस में रखा गया तो अन्य सदस्यों को अहमदनगर दुर्ग में रखा गया। आंदोलन के दौरान 100000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया तथा ब्रिटिश सरकार द्वारा आंदोलन को कुचलने के लिये हिंसा का सहारा लिया गया। साथ ही कांग्रेस को गैर-संवैधानिक घोषित कर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
Created On :   9 Aug 2021 11:43 AM IST