चारा घोटाला : लालू को झटका, झारखंड HC ने खारिज की बेल पिटीशन

Fodder Scam Jharkhand High Court rejects Lalu Prasad Yadav Bail Petition
चारा घोटाला : लालू को झटका, झारखंड HC ने खारिज की बेल पिटीशन
चारा घोटाला : लालू को झटका, झारखंड HC ने खारिज की बेल पिटीशन

डिजिटल डेस्क, रांची। बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और RJD चीफ लालू प्रसाद यादव की बेल पिटीशन को शुक्रवार को खारिज कर दिया। चारा घोटाले से जुड़े देवघर ट्रेजरी केस में लालू प्रसाद यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में बेल पिटीशन फाइल की थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया है। देवघर ट्रेजरी केस में लालू को सीबीआई कोर्ट ने साढ़े 3 साल की कैद और 5 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी। बता दें कि चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में लालू को सजा सुनाई जा चुकी है और लालू फिलहाल रांची की एक जेल में बंद हैं।


HC ने दलील मानने से किया इनकार

जानकारी के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव ने देवघर ट्रेजरी केस में मिली साढ़े 3 साल की सजा के लिए झारखंड हाईकोर्ट में बेल पिटीशन फाइल की थी। लालू की तरफ से जबलपुर कोर्ट के एडवोकेट ने दलील रखी थी, जिसे कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया। इसका मतलब अब इस बार की होली लालू यादव को जेल में ही मनानी पड़ेगी।

देवघर ट्रेजरी में साढ़े 3 साल की सजा

चारा घोटाले के देवघर ट्रेजरी केस में रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर को फैसला सुनाया था। इस मामले में लालू प्रसाद यादव समेत 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। कोर्ट के जज शिवपाल सिंह ने फैसला देते हुए 6 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 6 जनवरी को लालू को साढ़े 3 साल की कैद और 5 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है। 16 दोषियों में से 10 को कोर्ट ने साढ़े 3 साल की कैद और 5 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि 6 दोषियों को 7 साल की कैद और 10 लाख का जुर्माने की सजा सुनाई थी।

चाईबासा ट्रेजरी में 5 साल की सजा

देवघर ट्रेजरी केस में सजा मिलने के बाद लालू यादव चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में तीसरी बार दोषी करार दिए गए और उनको 5 साल की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही लालू पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में फर्जी तरीके से 35 करोड़ 62 लाख रुपए निकाले गए थे। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था और 76 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का नाम शामिल है। सुनवाई के दौरान 14 आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाकी बचे हुए आरोपियों में से दो सुशील कुमार झा और प्रमोद कुमार जायसवाल ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, जबकि तीन आरोपी दीपेश चांडक, आरके दास और शैलेष प्रसाद सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। बता दें कि ये तीसरा केस है जब लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा आरोपी हैं।

चाईबासा ट्रेजरी के दूसरे केस में भी 5 साल की सजा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पहली बार चाईबासा ट्रेजरी केस से ही जुड़े एक अन्य मामले में 5 साल की सजा हो चुकी है। 3 अक्टूबर 2013 को रांची के सीबीआई जज प्रवास कुमार सिंह ने चाईबासा ट्रेजरी से 37 करोड़ 7 लाख की अवैध निकासी के आरोप में 5 साल की सजा सुनाई गई थी और साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। इसी मामले में लालू के अलावा डॉ. जगन्नाथ मिश्रा को भी 4 साल कैद और 21 लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही लालू पर 11 साल तक चुनाव लड़ने पर भी बैन लगा दिया गया था। फिलहाल इस मामले में लालू जमानत पर रिहा हैं।

लालू के खिलाफ चल रहे हैं 5 मामले :

1. चाईबासा ट्रेजरी केस - 37 करोड़ 70 लाख रुपए का गबन, लालू को 5 साल की सजा।
2. देवघर ट्रेजरी केस - 89 लाख रुपए का गबन, लालू को साढ़े 3 साल की सजा।
3. चाईबासा ट्रेजरी केस - 35 करोड़ 62 लाख रुपए का गबन, लालू को 5 साल की सजा।
4. डोरंडा ट्रेजरी केस - 184 करोड़ रुपए का गबन, ट्रायल चल रहा है।
5. दुमका ट्रेजरी केस - 3 करोड़ 97 लाख रुपए का गबन, ट्रायल चल रहा है।

क्या है चारा घोटाला? 

चारा घोटाला पहली बार साल 1996 में सामने आया, जब बिहार के पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ था। उस वक्त लालू प्रसाद यादव की सरकार थी। ये घोटाला तकरीबन 950 करोड़ रुपए का है। बताया जाता है कि चारा घोटाला 1984 से चला आ रहा था और कुछ अधिकारी फर्जी तरीके से सरकारी खजाने को खाली कर रहे थे। इस घोटाले को सबसे पहले 1993 में विधायक दिलीप वर्मा ने विधानसभा में उठाया था। इस घोटाले में पहली बार 27 जनवरी 1996 को चाईबासा थाने में केस दर्ज किया और बाद में पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। इस घोटाले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें से कई आरोपियों की या तो मौत हो चुकी है या फिर सरकारी गवाह बन चुके हैं।

Created On :   23 Feb 2018 2:13 PM IST

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