2G केस पर फैसला पड़ न जाए महंगा, देना पड़ सकता है अरबों रुपए का हर्जाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के कथित 2G घोटाले पर गुरुवार को आए सीबीआई कोर्ट के फैसले से अब उन कंपनियों को फायदा हो सकता है, जिनके लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में कैंसिल कर दिए थे। गुरुवार को अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कोई घोटाला हुआ ही नहीं और इस मामले में ए. राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई कोर्ट के इस फैसले से अब टेलीकॉम कंपनियों को भारत सरकार के खिलाफ केस करने का मौका मिल गया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट के फैसले के बाद वीडियोकॉन टेलीकॉम अब इस बात को उठा सकती है कि 2015 में टेलीकॉम ट्रिब्यूनल में सरकार के खिलाफ फाइल किए गए केस की सुनवाई तेजी से हो। बता दें कि वीडियोकॉन टेलीकॉम ने भारत सरकार से 10,000 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है।
2015 में कंपनी ने किया था केस
दरअसल, कथित 2G स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 122 लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे। जिसमें से 21 लाइसेंस अकेले वीडियोकॉन टेलीकॉम के थे। उसके बाद 2015 में कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हुए नुकसान और मुआवजे का हवाला देकर 5,500 करोड़ से 10,000 करोड़ रुपए के बीच की मांग की थी। कंपनी का कहना था कि इससे हमारी कंपनी हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ, जबकि हमारी कोई गलती नहीं थी।
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अरबों रुपए देने पड़ सकते हैं सरकार को
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने जिन 122 लाइसेंस को कैंसिल किया था, उसमें इंडियन कंपनियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां शामिल थी। सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जानकारों का कहना है कि ये कंपनियां लाइसेंस कैंसिल किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 2.5 अरब डॉलर (करीब 160 अरब रुपए) के नुकसान की भरपाई की मांग भारत सरकार से कर सकती है। इन विदेशी टेलीकॉम कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में कदम रखा था। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने जब ये 122 लाइसेंस कैंसिल किए थे, तो इससे इन विदेशी कंपनियों को भी झटका लगा था। इन कंपनियों में यूएई की एतिसलात, नॉर्वे की टेलीनॉर और रूस की सिस्टेमा बड़ी कंपनियां है। लाइसेंस कैंसिल होने के बाद एतिसलात का 827 मिलियन डॉलर, टेलीनॉर का 1.4 अरब डॉलर और सिस्टेमा का 1.2 अरब डॉलर भारत में फंस गया था।
कंपनियां को मिल गया मौका
गुरुवार को सीबीआई कोर्ट के 2G मामले में फैसले से इन विदेशी कंपनियों को भारत सरकार के खिलाफ केस करने का मौका मिल गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लाइसेंस कैंसिल होने के बाद नुकसान उठाने वाली कंपनियां भरपाई के लिए भारत सरकार के खिलाफ केस कर सकती है। ये कंपनियां सीबीआई कोर्ट के फैसले को बेस बना सकती हैं, क्योंकि गुरुवार को सीबाआई कोर्ट ने कहा कि लाइसेंस को बांटने में कोई गलती नहीं हुई है। अब इस पर कंपनियां भी कह सकती हैं कि भले ही लाइसेंस बांटने की पॉलिसी गलत हो, लेकिन उन्होंने नियमों का पालन किया और कोई गलती नहीं की।
सिस्टेमा के 21 तो टेलीनॉर के 22 सर्कल्स के लाइसेंस कैंसिल
रूसी कंपनी सिस्टेमा ने भारत के साथ ज्वॉइंट वेंचर कर सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेस के साथ भारत में कदम रखा था। इस कंपनी के 21 सर्कल के लाइसेंस कैंसिल हो गए थे। वहीं नॉर्वे की कंपनी टेलीनॉर ने भारत में यूनिटेक के साथ मिलकर एंट्री की। इस कंपनी के 22 सर्कल के लाइसेंस कैंसिल हो गए थे। इन दोनों ही कंपनी को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। टेलीनॉर ने 4 अरब डॉलर के इन्वेस्ट, गारंटी और डैमेज के लिए भारत सरकार से मुआवजे की मांग की थी। हालांकि, उस वक्त सरकार ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट को दिए गए 1,325 करोड़ रुपए को एडजस्ट कर दिया तो टेलीनॉर ने आर्बिट्रेशन नोटिस वापस ले लिया था।
Created On :   23 Dec 2017 3:29 PM IST