सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को कोरोना, अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच संबंधी याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गैंस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया। हालांकि उसने कहा है कि पांच जजों को कोरोना होने के कारण वे उपलब्ध नहीं है और इसलिए सुनवाई शुक्रवार को होगी। याचिका में 15 अप्रैल को हुई दोनों भाइयों की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामलों के उल्लेख के समय वकीलों को बताया कि पांच जजों को कोरोना संक्रमण हो गया है। उन्होंने कहा, चूंकि पांच जज उपलब्ध नहीं हैं, कुछ मामले जिनकी सुनवाई की तारीख दी गई थी उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया है। हम उन्हें शुक्रवार की सूची में शामिल करने की कोशिश करेंगे। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अतीक-अशरफ हत्याकांड में निष्पक्ष विशेषज्ञ समिति से जांच की मांग संबंधी याचिका दायर की है। साथ ही उन्होंने 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में हुए 183 एनकाउंटर की जांच की भी मांग की है।
तिवारी ने सोमवार को सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख पीठ के समक्ष किया जिसमें न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं। अतीक और अशरफ अहमद को 15 अप्रैल को तीन हमलावरों ने उस समय गोली मार दी थी जब पुलिसकर्मी उन्हें प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए ले जा रहे थे। तीनों पत्रकार के रूप में वहां आए थे। याचिकाकर्ता ने पुलिस हिरासत में हुई हत्याओं की जांच की भी मांग की और जोर देकर कहा कि पुलिस द्वारा इस तरह की हरकतें लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है और पुलिसिया शासन की ओर ले जाता है।
याचिका में कहा गया है कि न्यायिक आदेशों से इतर हत्याओं या फर्जी पुलिस मुठभेड़ों का कानून में कोई स्थान नहीं है। एक लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम न्याय देने का एक जरिया बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि सजा की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है।
(आईएएनएस)
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   24 April 2023 3:00 PM IST