Farmers Protest Day 87: खड़ी फसलों पर ट्रैक्टर चला रहा अन्नदाता, बढ़ सकता है गेहूं का संकट
- न्यूनतम समर्थन मूल्य नही मिलता है। आंदोलन में फसल को आड़े नही आने दिया जाएगा।
- किसान अपनी फसलों को ही नष्ट करने लगे हैं।
- खड़ी फसल कृषि बिलों के विरोध में नष्ट कर रहे
गाजीपुर बॉर्डर (आईएएनएस)। कृषि कानूनों के विरोध में बात अब इतनी आगे पहुंच चुकी है कि किसान अपनी फसलों को ही नष्ट करने लगे हैं। पिछले तीन महीनों से किसान दिल्ली की बॉर्डर पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेना चाहती। जबकि किसान इन कानूनों को अपनी बर्बादी बता रहे हैं। अभी तक कुल 4 किसान अपनी फसल नष्ट कर चुके हैं। हालांकि, फसलें नष्ट होते देख भारतीय किसान यूनियन की तरफ से किसानों से अपील की जाने लगी है कि इस तरह का कदम न उठाएं। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है, ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के किसानों से आह्वान किया है कि वह आंदोलन में पहुंचने के लिए चाहे अपनी खड़ी फसल को नष्ट कर दें, लेकिन आंदोलन में जरूर पहुंचें।
अपील के बाद किसानों ने अपनी फसल को नष्ट करना शुरू कर दिया। भाकियू की तरफ से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरनगर निवासी योगेंद्र अहलावत ने अपनी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर-ट्रेलर चलाया और लगभग 2 एकड़ की फसल नष्ट कर दी। इस किसान के पास कुल 2.5 हेक्टेयर भूमि है। किसान का कहना है कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य नही मिलता है। आंदोलन में फसल को आड़े नही आने दिया जाएगा। इससे पहले बिजनौर जिले के चांदपुर तहसील निवासी रोहित कुमार ने अपनी गेहूं की खड़ी फसल कृषि बिलों के विरोध में नष्ट कर दी।
हालांकि इनके बाद भी 2 अन्य किसानों ने अपनी फसल नष्ट कर दी। इतना सब देख भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने आईएएनएस से कहा कि, अभी तक 4 जगह से सूचना आई है, हमने उनसे व्यग्तिगत रूप से बात भी की है। वहीं एक बयान भी जारी किया गया है जिसमें कहा है कि ऐसी भी मौबत आई तो उसके लिए भी तैयार रहना है, बर्बाद करने के लिए नहीं कहा गया था।
हम किसानों से निवेदन करते है कि अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है। हमने अप्रैल तक के लिए कहा था कि यदि सरकार हमपर दबाब बनाएगी और किसानों को हटाएगी तो उस समय हम सोचेंगे। किसानों से विनती है कि इस तरह का कदम न उठाएं। देश के रास्ट्रीय धरोहर हैं अन्न दाता, क्योंकि हम दुनिया को भोजन देते हैं।
इस मसले पर जब राकेश टिकैत से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ये किसानों ने खुद कहा कि आंदोलन में अगर जरूरत पड़ी तो, हम एक फसल की कुबार्नी भी देंगे। फिलहाल इसकी जरूरत नहीं पड़ी है, वो टाइम अप्रैल में आएगा, जब फसलों की कटाई होगी। अभी कच्ची फसल है इस तरह का कदम न उठाएं, अभी फसल को उगने दो। एक कमेटी बनाई है, इसमें जो किसान यहां पर रहेगा, उसके गांव की कमेटी के लोग फसल को तैयार करेंगे। यदि फसल को लेकर कोई भी निर्णय लेना होगा वो सामूहिक रूप से 20 अप्रैल के आसपास लिया जाएगा।
किसान से अपील है कि ऐसा मत करे। यह करने ले लिए नही कहा गया था। https://t.co/73X5XopEXL
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) February 21, 2021
Created On :   22 Feb 2021 12:53 PM IST