गुस्से में अन्नदाता : सड़कों पर बहाया दूध, फेंकी फल-सब्जियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसानों की देशव्यापी हड़ताल का शनिवार को दूसरा दिन है। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के आह्वान पर बुलाई गई इस हड़ताल का आज व्यापक असर देखने को मिला।
पहले दिन देश के अलग अलग हिस्सों में सब्जियां और दूध सड़कों पर बिखेर दिया गया। कई जगहों पर किसानों ने इन्हें मुफ्त बांट दिया, लेकिन शहरों में सप्लाई नहीं होने दी। कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग पर अड़े किसान संगठनों ने रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों, सब्जियों और दूध को बाहर नहीं भेजने का ऐलान किया है। आंदोलन की वजह से सरकार की चिंता बढ़ गई है। अब सब्जियों की कीमतों पर असर दिखना शुरू हो गया है।
#Delhi: Vendors at Okhla vegetable market say prices have shot up due to country-wide farmers" protest. pic.twitter.com/beS3IxBN9L
— ANI (@ANI) June 2, 2018
धन्यवाद किसान भाईयो गांव बंद अभियान को सफल बनाने के लिए किसान एकता जिंदाबाद #जय_जवान_जय_किसान #गाँव_बंद #धरत @SachinPilot @RahulGandhi @rssurjewala @DrKumarVishwas @PMOIndia @HardikPatel_ pic.twitter.com/z5L0yzZOTq
— Jitendra kardolya (@JKardolya) June 1, 2018
किसानों के आंदोलन को राहुल का साथ
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी किसानों के समर्थन में आ गए हैं। राहुल ने ट्वीट कर कहा कि ""हमारे देश में हर रोज़ 35 किसान आत्महत्या करते हैं। कृषि क्षेत्र पर छाए संकट की तरफ़ केंद्र सरकार का ध्यान ले जाने के लिए किसान भाई 10 दिनों का आंदोलन करने पर मजबूर हैं। हमारे अन्नदाताओं की हक की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने के लिए 6 जून को मंदसौर में किसान रैली को संबोधित करूंगा।""
हमारे देश में हर रोज़ 35 किसान आत्महत्या करते हैं। कृषि क्षेत्र पर छाए संकट की तरफ़ केंद्र सरकार का ध्यान ले जाने के लिए किसान भाई 10 दिनों का आंदोलन करने पर मजबूर हैं। हमारे अन्नदाताओं की हक की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने के लिए 6 जून को मंदसौर में किसान रैली को संबोधित करूंगा। pic.twitter.com/Bv4Hv72jE8
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 2, 2018
इस बीच, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आश्वासन दिया है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें इसी सत्र से लागू कर दी जाएंगी। इस बीच खबर है कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर इस मसले में हस्तक्षेप करने और इस मुद्दे को संसद में उठाने का अनुरोध किया।
किसान आंदोलन पर राजनीति शुरू
किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और कर्ज माफी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसान आंदोलन के कारण एक ओर जहां आम आदमी को भारी परेशान उठानी पड़ रही है, वहीं आंदोलन केंद्र सरकार के लिए चिंता का सबब बन गया है। किसान आंदोलन को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में 6 जून को मंदसौर में जनसभा करने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि बीते साल 6 जून को मंदसौर में आंदोलनरत किसानों पर पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी। भाजपा ने राहुल गांधी की इस रैली को राजनीति से प्रेरित बताया है।
खरीफ से धान पर मिलेगा एमएसपी
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस खरीफ सत्र से ही किसानों को स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा। सरकार किसानों की कुल लागत और लागत का 50 फीसदी लाभ मिला कर खरीफ फसल का मूल्य तय करेगी। जावड़ेकर ने कहा किसान देश की रीढ़ है। वे पिछले 40 सालों से लाभकारी मूल्य मिलने की उम्मीद कर रहे थे। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था। अब भाजपा की सरकार ने इसे लागू करने का निर्णय लिया है।
केंद्र ने किसान संपर्क अभियान शुरू किया
इस बीच केंद्र सरकार ने नाराज किसानों को मनाने की शुरुआत कर दी है। किसानों को लाभकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए कृषि मंत्रालय ने किसान संपर्क अभियान शुरू किया किया है। इसे व्यापक जनसंपर्क का रूप दिया गया है। 1000 से ज्यादा गांवों में शुक्रवार से शुरू होने वाला यह अभियान दो माह तक चलेगा। अधिकारी इस अभियान के दौरान किसानों से मिल कर उन्हें बीज, सायल हेल्थ कार्ड, किसानी तकनीक का प्रशिक्षण देंगे।
कई राज्यों में दिखा हड़ताल का असर
किसानों की दस दिवसीय हड़ताल के दौरान पंजाब के लुधियाना में किसानों ने प्रदर्शन कर हजारों लीटर दूध सड़कों पर बहाया और फल सब्जियां बिखेर दीं। पुणे के खेड़शिवापुर टोल प्लाजा पर किसानों ने 40 हजार लीटर दूध सड़क पर बहा दिया। आगरा में प्रदर्शनकारियों के वाहनों की फ्री आवाजाही कराने के लिए किसानों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होने टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया और वहां बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की।
पंजाब के फरीदकोट से मिले समाचार के अनुसार किसानों ने यहीं भी बड़े पैमान पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ग्रामीण इलाकों में बड़ी मात्रा में फल, सब्जियों और दूध को सड़क पर बिखेर दिया गया। प्रदर्शन के दौरान आयोजित सभा में किसान नेताओं ने कहा कि जब तक किसानों के कर्जे माफ नहीं किए जाते तब तक किसानों की बदहाली दूर नहीं की जा सकती।
महाराष्ट्र के पुणे में भी किसानों ने प्रदर्शन कर दूध, सब्जियां और फल सड़कों पर बिखेर दिए।
22 राज्यों के 130 से अधिक संगठनों का समर्थन
किसान आंदोलन को देश के 22 राज्यों के 130 से अधिक किसान संगठनों का समर्थन हासिल है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब के किसान संगठनों ने भी इसका समर्थन किया है। छत्तीसगढ़ का प्रगतिशील किसान संगठन भी बंद में शामिल होगा। इस संगठन के साथ 35 हजार किसान जुड़े हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के 7 अन्य संगठन भी इसका समर्थन कर रहे हैं। आंदोलन के दौरान 10 दिन तक गांवों से सब्जी और दूध की शहरों में सप्लाई नहीं करने दी जाएगी। किसान संगठनों ने कहा कि इस दौरान खरीदारी करने शहर से लोग गांव आतें हैं, तो आंदोलनकारी किसान उसका विरोध नहीं करेंगे।
मंदसौर और नीमच में धारा 144 लगाई
मंदसौर गोली कांड की बरसी 6 जून को है। इसी दिन कांग्रेस की मंदसौर में मेगा रैली है। इस रैली को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी संबोधित करेंगे। राज्य सरकार ने एहतियाती कदमों के तहत धारा 144 लगाने के अलावा मंदसौर और आसपास के इलाकों में सोशल मीडिया पर बंदिश लगा दी है। नीमच में भी धारा 144 लगी दी गई है। सरकार ने यह भी दावा किया है कि दस दिन की घेराबंदी के दौरान जरूरी सामान की आपूर्ति ठप नहीं होने दी जाएगी। मंदसौर में कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए रिजर्व पुलिस फोर्स की पांच अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है।
संवेदनशील स्थानों पर गड़बड़ी फैलाने की संभावना वाले लोगों पर नजर रखने के लिए 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। राज्य के 18 जिलों में स्पेशल ऐक्शन फोर्स की 87 कंपनियां, 5000 अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। पुलिस बल को भोपाल, इंदौर, राजगढ़ और दतिया में 100 वाहन मुहैया कराए गए हैं। पुलिस अफसरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। उन्हें 10 दिन तक पुलिस स्टेशन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 35 जिलों में करीब 10 हजार लाठियां भी बंटवाई गई हैं।
किसानों की चार प्रमुख मांगें
- पहली मांग-फसल की लागत का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले
- दूसरी मांग-किसानों को कर्जमुक्त किया जाए
- तीसरी मांग- छोटे किसानों की एक आय निश्चित की जाए
- चौथी मांग-फल, दूध, सब्जी को समर्थन मूल्य के दायरे में लाकर डेढ़ गुना लाभकारी दाम मिलें
Created On :   2 Jun 2018 8:54 AM IST