रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन में लिखे एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास, 60 की उम्र में सीखी थी चित्रकारी

रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन में लिखे एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास, 60 की उम्र में सीखी थी चित्रकारी
हाईलाइट
  • 7 अगस्त 1941 में टैगोर जी ने कहा इस दुनिया को जब अलविदा
  • टैगोर जी का जन्म 7 मई
  • 1861 में कोलकाता के जोरासंको हवेली में हुआ
  • रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे पहले शख्स थे
  • जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान की रचना की

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। साहित्य की दुनिया का जाना माना नाम रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भारत को पहला नोबल पुरस्कार दिलाया था। टैगोर जी का जन्म 7 मई, 1861 में कोलकाता के जोरासंको हवेली में हुआ था। टैगोर सिर्फ एक लेखक ही नहीं बल्कि संगीतकार, चित्रकार, नाटककार भी थे। बचपन से ही उनकी कविता, छन्द और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास लोगों को मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी। साहित्य के क्षेत्र में रवीन्द्रनाथ का योगदान अतुलनीय है। 7 अगस्त 1941 में जब टैगोर जी ने इस दुनिया को जब अलविदा कहा तो हमने ने एक खूबसूरत रचियता को खो दिया। आज रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें। 

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  • रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान की रचना की। उन्हें दो देशों के राष्ट्रगान के रचियता के रुप में भी जाना जाता है। एक तो भारत के लिए जन गण मन... और दूसरा बांग्लादेश के लिए अमार शोनार बांग्ला... इतना ही नहीं टैगोर ने हजारों गीतों की भी रचना की है।
  •  टैगोर द्वारा कुछ बातें ऐसी भी कही गई है, जो आज भी लोगों को प्रेरणा देती है। वह कहा करते थे कि केवल पानी पर खड़े होकर या उसे देखकर समुद्र पार नहीं किया जाता। इसे पार करने के लिए कदम बढ़ाना होगा। विश्वास को जीवन में अहम मानते हुए वह कहते थे कि ये (विश्वास) वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में प्रकाश का अनुभव कराता है और गाने लगता है।

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  •  पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में कला और साहित्य का एक अलग रूप दिखता था। इससे टैगोर का गहरा नाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां उनके पिता ने 1863 में ब्रह्मो समाज आश्रम और विद्यालय के रूप में एक आश्रम की स्थापना की थी। फिर यहीं पर रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की।
  •  रवींद्रनाथ टैगोर की 3,500 कविताओं का एक डिजिटल संग्रह भी है। खास बात ये है कि इस संग्रह में ऐसी 15 कविताएं मौजूद हैं, जिनका पाठ खुद टैगार ने किया था। अन्य 245 कविताओं का पाठ वक्ताओं ने किया है। इस संग्रह को पुर्णेंदु विकास सरकार ने तैयार किया है। इसमें कविताओं की प्रस्तुति के अलावा "रबींद्र कोबिता आर्काइव" में 110 रबींद्र संगीत और 103 अंग्रेजी कविताओं को भी शामिल किया गया है। वहीं टैगोर की 60 सबसे लोकप्रिय कविताओं को "सबसे प्रसिद्ध कविताएं" नामक एक अलग गैलरी में रखा गया है। पांच साल तक शोध के बाद इन कविताओं को संकलित किया गया।

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  •  टैगोर लेखक होने के साथ साथ चित्रकार भी थे। उन्होंने 60 साल की उम्र के दौरान चित्र बनाने शुरू किए थे। उनकी कई प्रदर्शनी यूरोप, रूस और अमेरिका में लगी हैं। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएं की थीं। उन्होंने एक दर्जन से अधिक उपन्यास भी लिखे थे। 
  • टैगोर ने सेंट जेवियर स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन में कानून की पढ़ाई की। लेकिन वह बिना डिग्री लिए ही वापस चले आए। वहीं टैगोर के भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ने 1864 में इंडियन सिविल सर्विस पास की और देश के पहले आईसीएस बने। 

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  •  टैगोर की शादी 1883 में मृणालिनी देवी के साथ हुई थी। उनकी पत्नी ने बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त की और इंग्लैंड जाकर भी पढ़ाई की। उन्होंने कुछ किताबों का अनुवाद भी किया। टैगोर को उनसे पांच बच्चे हुए।
  •  "द किंग ऑफ द डार्क चैंबर" टैगोर की प्रसिद्ध किताबों में से एक है।  जिसकी बीते साल अमेरिका में सात सौ डॉलर (करीब 45 हजार रुपये) में नीलामी हुई है। ये किताब 1916 में मैकमिनल कंपनी ने प्रकाशित की थी, जो टैगोर के हिंदी में लिखे नाटक "राजा" का अंग्रेजी अनुवाद है। इस नाटक की कहानी एक रहस्यमय राजा से जुड़ी है।

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Created On :   6 Aug 2019 8:18 AM GMT

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