मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने वीवो, अन्य चीनी फर्मों पर छापा मारा

ED raids Vivo, other Chinese firms in money laundering case
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने वीवो, अन्य चीनी फर्मों पर छापा मारा
नई दिल्ली मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने वीवो, अन्य चीनी फर्मों पर छापा मारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को वीवो और चीनी कंपनियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की रोकथाम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दक्षिणी राज्यों में लगभग 40 स्थानों पर छापेमारी की। सूत्रों ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत एक मामले के तहत वीवो के कार्यालय और कुछ अन्य चीनी फर्मों के परिसरों पर छापे मारे गए। सीबीआई भी मामले की जांच कर रही है और एक अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है।

आईएएनएस को दिए एक बयान में, वीवो ने कहा कि वह सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, एक जिम्मेदार कॉपोर्रेट के रूप में, हम कानूनों का पूरी तरह से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अप्रैल में, ईडी ने कंपनी द्वारा किए गए अवैध जावक प्रेषण के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत बैंक खातों में पड़े शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्रा. लि. के 5,551.27 करोड़ रुपये जब्त किए।

कंपनी ने तब एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था, हमने सरकारी अधिकारियों के आदेश का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। हम मानते हैं कि हमारे रॉयल्टी भुगतान और बैंक को दिए गए विवरण सभी वैध और सत्य हैं। शाओमी इंडिया द्वारा किए गए ये रॉयल्टी भुगतान इन-लाइसेंस प्राप्त प्रौद्योगिकियों और हमारे भारतीय संस्करण उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले आईपी के लिए थे। हालांकि, हम किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

3 मार्च को, आयकर विभाग ने कहा था कि उन्होंने दूरसंचार उत्पादों में काम करने वाली चीनी फर्मों के खिलाफ छापे मारे और पता चला कि कंपनियां नकली रसीदों के माध्यम से कर चोरी में शामिल थीं। आई टी विभाग ने उस समय 400 करोड़ रुपये की आय के हेरफेर का पता लगाया था। पूरे भारत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फरवरी के दूसरे सप्ताह में छापे मारे गए।

जांच से पता चला कि चीनी फर्मों ने भारत के बाहर अपने संबंधित पक्षों से तकनीकी सेवाओं की प्राप्ति के खिलाफ बढ़े हुए भुगतान किए थे। निर्धारिती कंपनियां ऐसी कथित तकनीकी सेवाओं को प्राप्त करने की वास्तविकता को सही नहीं ठहरा सकतीं, जिनके बदले भुगतान किया गया था और साथ ही इसके लिए प्रतिफल के निर्धारण का आधार भी नहीं था।

तलाशी कार्रवाई से आगे पता चला था कि विभिन्न फर्मों ने भारत में कर योग्य आय को कम करने के लिए अपने खातों की पुस्तकों में हेरफेर किया था, जैसे अप्रचलन के प्रावधान, वारंटी के प्रावधान, संदिग्ध ऋण और अग्रिम आदि, जिनका बहुत कम या कोई वित्तीय औचित्य नहीं है। जांच के दौरान, समूह ऐसे दावों के लिए कोई पर्याप्त और उचित औचित्य प्रदान करने में विफल रहे थे। कंपनी ने कहा था कि वे सभी गलतफहमियों को दूर करने के लिए अधिकारियों के साथ तालमेल कर रहे हैं।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   5 July 2022 8:30 PM IST

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