लोकसभा में कोविड पर बहस के दौरान शिवसेना ने वैक्सीन पॉलिसी को लेकर सरकार को घेरा
- अब तक एक तिहाई भारतीयों को टीके की दोनों खुराक मिली हैं
- कोविड-19 को लेकर लोकसभा में नियम 193 के तहत बहस हुई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा ने गुरुवार को देश में कोविड-19 महामारी और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा शुरू की, जिसमें विपक्ष और सरकार के सदस्यों ने महामारी से निपटने और टीकाकरण को लेकर एक-दूसरे पर कटाक्ष किया। बहस की शुरुआत करते हुए, नियम 193 के तहत, शिवसेना के सदस्य विनायक राउत ने कहा कि अब तक केवल एक तिहाई भारतीयों को टीके की दोनों खुराक मिली हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट पर विशिष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि एक आशंका देखने को मिली थी कि मुंबई में बड़ी संख्या में हताहत होंगे, लेकिन सौभाग्य से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मार्गदर्शन में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप अच्छी तरह से रहा। यहां तक कि झुग्गी-झोपड़ियों में फैले धारावी को भी कोरोना से मुक्त कर दिया गया। सरकार पर निशाना साधते हुए राउत ने दावा किया कि विभिन्न राज्यों को आपूर्ति की गई वैक्सीन की खुराक उनकी संबंधित आबादी के अनुसार नहीं थी। अगर सरकार ने कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ा दिया होता, जिसमें खुराक के बीच केवल 28 दिनों का अंतर होता है, तो भारत में टीकाकरण की दर तेज होती। देश में पीएसए संयंत्रों का मुद्दा उठाते हुए शिवसेना सदस्य ने कहा कि 1500 पीएसए संयंत्रों में से केवल 363 संयंत्र ही चालू हैं।
उन्होंने कहा, हमें पीएसए संयंत्रों, वेंटिलेटर और दवाओं की आवश्यकता थी, लेकिन उस समय पीएम केयर योजना के तहत 60 प्रतिशत वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे थे। इसलिए, इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार कंपनियों को दंडित किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने सरकार और लोगों के बीच विश्वास को तोड़ा है। भाजपा के रतन लाल कटारिया ने कहा कि सरकार ने देश में महामारी के दौरान एक अद्भुत काम किया है। उन्होंने बेहतर टीकाकरण प्रक्रिया की प्रशंसा की। विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कटारिया ने आगे कहा कि लोकतंत्र में इसकी भूमिका होती है और उन्हें वह भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन जब मानवता की सेवा करने की बात आती है तो फिर राजनीति नहीं करनी चाहिए। किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि हमने एक साल से अधिक समय तक विरोध देखा, लेकिन इसके बावजूद, भारतीय किसानों ने ऐसा उत्पादन सुनिश्चित किया कि एक भी व्यक्ति भूख से न मरे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी देश के प्रयासों की सराहना की है।
(आईएएनएस)
Created On :   2 Dec 2021 7:00 PM IST