बिलासपुर कलेक्टर की पहल से मुस्कुराने लगी खुशी, सीएम ने की तारीफ
- खुशी की जेल से बाहर आकर पढ़ाई करने की बात से भावुक हो गए थे कलेक्टर
- जब वह 15 दिन की थी तब पीलिया के चलते खुशी की मां का निधन हो गया था
- जेल निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने पूछी थी खुशी से उसकी इच्छा
- नन्ही खुशी को जेल से बाहर कर स्कूल में दिलाया एडमिशन
- बिलासपुर कलेक्टर का सराहनीय कदम
- मां के गुजर जाने के बाद से पिता के साथ जेल में रह रही थी खुशी
- शहर के स्कूल में दाखिला करावा कर होस्टर में रहने का करवा
डिजिटल डेस्क, बिलासपुर। नन्ही सी खुशी को कहां पता था कि मां के गुजर जाने के बाद जेल में रहते उसकी जिंदगी में भी कोई खुशियां लेकर आ सकता है, लेकिन बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग खुशी के लिए मानों फरिश्ता बन कर आए हों। कलेक्टर संजय अलंग ने वो कर दिखाया है जिसकी तारीफ चारों तरफ हो रही है। खुशी वह बच्ची है जो बिना किसी अपराध के जेल में थी, दरअसल खुशी के पिता किसी अपराध की सजा बिलासपुर के केंद्रीय जेल में काट रहें हैं। खुशी जब 15 दिन की थी तब पीलिया के चलते उसकी मां का निधन हो गया था। नन्ही सी खुशी के पिता उस समय जेल में थे और उनके पास खुशी को जेल में रखने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
Chhattisgarh: Children, of inmates of Bilaspur Central Jail, including a 6-year-old girl, residing in the jail premises have now been admitted to schools by Bilaspur district collector Dr Sanjay Alang, jail administration local administration. (25.06.2019) pic.twitter.com/CBpzjsgN5Q
— ANI (@ANI) June 26, 2019
जिला कलेक्टर डॉ संजय की इस मानवीय कदम के लिए जितनी सराहना की जाए कम है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 26, 2019
साथ ही जेल प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन भी बधाई का पात्र है।
आखिर हम सब जनता के ही तो सेवक हैं, ऐसे कदमों से जनता का सरकार और प्रशासन पर विश्वास और भी बढ़ेगा।#WednesdayWisdom https://t.co/4312zymaiP
वक्त निकलता गया और देखते ही देखते खुशी बड़ी होने लगी। अब खुशी की परवरिश की जिम्मेदारी महिला कैदियों को दे गई। वह जेल के अंदर संचालित प्ले स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। करीब एक महीने पहले कलेक्टर जेल निरीक्षण के लिए गए थे इस दौरान उनकी नजर महिला कैदियों के बीच बैठी इस बच्ची पर पड़ी। कलेक्टर संजय अलंग ने बच्ची से जाकर उसकी इच्छा पूछी तो खुशी ने जेल से बाहर आने और पढ़ाई करने की बात कही। जिससे कलेक्टर भावुक हो उठे और बच्ची का एडमिशन शहर के एक स्कूल में कराने का फैसला लिया।
एडमिशन के पहले दिन कलेक्टर खुद अपनी कार में बैठाकर खुशी को जैन इंटरनेशन स्कूल छोड़ने गए, जहां उसका एडमिशन कराया। स्कूल जाने की खुशी में खुशी सुबह से ही तैयार हो गई थी। उसके रहने का इंतजाम स्कूल के होस्टल में कराया गया है साथ ही खुशी के लिए विशेष केयर टेकर का भी इंतजाम किया गया है। खुशी की पढ़ाई और हॉस्टल का खर्चा स्कूल प्रबंधन ही उठायेगा इस बात की जानकारी स्कूल संचालक ने दी। केंद्रीय जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग की इस पहल पर 17 अन्य बच्चों को भी जेल से बाहर निकाल कर स्कूल में एडमिशन दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
कितनी ही मासूम जिंदगियां होंगी जो बिना किसी अपराध के जेल में अपने हिस्से की सजा काट रहीं हैं। उन्हें भी इंतजार है ऐसे ही किसी कलेक्टर का जो आकर उनसे उनकी इच्छा पूछे और उनका दाखिला भी किसी स्कूल में करवा दे।
Created On :   26 Jun 2019 7:43 AM GMT