LAC standoff: गलवान में करीब 1.5 किलोमीटर पीछे हटी चीनी सेना, टेंट और स्ट्रक्चर भी हटाए
- चीन की सेना पेट्रालिंग प्वाइंट 14
- 15 और 17A पर टेंट और स्ट्रक्चर हटाते दिखाई दी
- टकराव के बीच तनाव घटाने की तरफ पहला कदम मान
- भारत और चीन ने गलवान घाटी और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट शुरू किया
डिजिटल, डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों में फेस-ऑफ साइटों से डिसएंगेजमेंट शुरू कर दिया है। पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से चल रहे टकराव के बीच जानकार इसे तनाव घटाने की तरफ पहला कदम मान रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि चीन की सेना पेट्रालिंग प्वाइंट 14, 15 और 17A पर टेंट और स्ट्रक्चर हटाते दिखाई दी। चीनी सेना ने अपने वाहनों को भी करीब 1.5 किलोमीटर पीछे हटा लिया। हालांकि चीनी सैनिक कितना पीछे हटे हैं ये वेरिफिकेशन के बाद ही कंफर्म हो पाएगा। वेरिफिकेशन में तीन दिन का समय लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक 30 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में दोनों देश डिसएंगेजमेंट के लिए तैयार हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी रविवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात की थी। वांग ली ही चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं। इस दौरान दोनों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हों। इसके अलावा बॉर्डर पर फेज़ वाइज़ सेना के पीछे हटने पर भी सहमति बनी। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय का भी इसे लेकर बयान सामने आया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि शांति स्थापित करने के लिए अग्रिम मोर्चे पर कुछ कदम उठाए गए हैं, इनमें सैनिकों को वापस हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
बैठक में डिसएंगेजमेंट के लिए तैयार हुए थे दोनों देश
प्रस्तावित डिसएंगेजमेंट प्लान के अनुसार, सेना धीरे-धीरे 2.5 से 3 किलोमीटर पीचे हटेगी और LAC के करीब बनाए गए मिलिट्री बिल्ड-अप को भी हटाया जाएगा। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपने चौथे मोटोराइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन और 6वें मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन के 20,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। इसके जवाब में भारत ने भी मिरर डिपलॉयमेंट किया था। सूत्रों के मुताबिक अब चीनी सैनिक करीब 1.5 किलोमीटर पीछे हुए हैं। एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मौसम भी चुनौती बना हुआ है और गलवान नदी भी उफान पर है। इसलिए अभी यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि चीनी सैनिक बातचीत में बनी सहमति के आधार पर ही पीछे गए हैं या फिर मौसम की चुनौती की वजह से।
लद्दाख के इलाकों पर चीन की नजर
बता दें कि भारत और चीन के बीच दो महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पैंगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोली नहीं चली। बातचीत के जरिए दोनों देश इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।
भारत को फिंगर 4 पर पेट्रोलिंग से रोका
5 और 6 मई 2020 को भारत और चीन के सैनिकों की धक्का-मुक्की की खबरें आई थी। इस धक्का-मुक्की की वजह थी चीन की सेना जो भारतीय सैनिकों को पैंगोंग लेक के फिंगर 4 में पेट्रोलिंग से रोक रही थी। चीन ने आधिकारिक रूप से बयान दिया कि भारत चीन के इलाके में घुसपैठ कर रहा है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि फिंगर 4 तो भारत का ही इलाका है। इस विवाद को सुलझाने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। दोनों देशों में कुछ इलाकों से सेना को करीब 2 किलोमीटर तक पीछे हटाने की सहमति भी बनी थी, लेकिन चीनी सेना फिंगर फोर पर डट गई है और भारत को पेट्रोलिंग के लिए इससे आगे नहीं जाने दे रही।
चीन ने फिंगर 4 तक पक्की सड़क का निर्माण किया
1999 में, कारगिल युद्ध के दौरान जब भारत ने अपने सैनिकों को पैंगोंग लेक से हटा लिया था, तब चीन ने इसका फायदा उठाकर फिंगर 4 क्षेत्र तक पहुंचने के लिए एक कच्ची सड़क का निर्माण किया था। बाद में इसे पक्का कर दिया गया। चीनी सैनिक कई बार अपने वाहनों से इस इलाके में पेट्रोलिंग के लिए आ जाते थे, लेकिन कभी भी उन्होंने इस क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया था। लेकिन अब चीनी सेना ने ऊंचाइयों पर फिंगर 4-8 के बीच डिफेंस स्ट्रक्चर तैयार कर लिए हैं। भारत अप्रैल से पहले वाली स्थिति चाहता है। इसके लिए पैंगोंग सो में चीन को अपने कई स्ट्रक्चर और बंकर ढहाने होंगे, जिसमें वक्त लग सकता है।
Created On :   6 July 2020 2:40 PM IST