रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया के तहत निजी दिग्गजों को शामिल करते हुए 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी
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- उद्योग द्वारा वित्त पोषित मेक-2 प्रक्रिया के तहत पांच परियोजनाओं के लिए एआईपी प्रदान किया गया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 की मेक-1 श्रेणी के तहत डिजाइन और विकास के लिए भारतीय उद्योग की चार परियोजनाओं की पेशकश की है।
इसके अलावा, उद्योग द्वारा वित्त पोषित मेक-2 प्रक्रिया के तहत पांच परियोजनाओं के लिए एआईपी प्रदान किया गया है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, उद्योग को इन परियोजनाओं के प्रोटोटाइप विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। रक्षा मंत्रालय की कॉलेजिएट कमेटी द्वारा इन परियोजनाओं को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी (एआईपी) दी गई है।
भारतीय वायु सेना के लिए भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ संचार उपकरणों के लिए मंजूरी दी गई है। इसमें स्विच, राउटर, वीओआईपी फोन और उनके सॉफ्टवेयर और एन्क्रिप्टर शामिल हैं।
इसके अलावा भारतीय वायु सेना के लिए भू-आधारित प्रणाली के साथ एयरबोर्न इलेक्ट्रो ऑप्टिकल पॉड और एयरबोर्न स्टैंड-ऑफ जैमर भी शामिल हैं।
भारतीय सेना के लिए भारतीय लाइट टैंक इसमें शामिल हैं।
सेना के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित लाइट टैंक को मंजूरी मिल गई। 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने 350 लाइट टैंकों के लिए सूचना के लिए एक अनुरोध जारी किया था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, उद्योग के अनुकूल डीएपी-2020 के लॉन्च के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय उद्योग को भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बड़े टिकट प्लेटफॉर्म के विकास में शामिल किया गया है।
इसके अलावा, उद्योग द्वारा वित्त पोषित मेक-2 प्रक्रिया के तहत निम्नलिखित पांच परियोजनाओं के लिए एआईपी भी प्रदान किया गया है।
भारतीय वायु सेना के लिए अपाचे हेलिकॉप्टर के लिए पूर्ण गति सिम्युलेटर, चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए पूर्ण गति सिम्युलेटर, विमान रखरखाव के लिए पहनने योग्य रोबोटिक उपकरण।
इसके अलावा भारतीय सेना के लिए यंत्रीकृत बलों के लिए एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली और स्वायत्त लड़ाकू वाहन।
इसके तहत सरकार प्रोटोटाइप के विकास के लिए कोई फंड नहीं देती है।
उद्योग को उपकरण या सिस्टम और उनके प्लेटफॉर्म के संपूर्ण प्रोटोटाइप विकास के लिए फंड देना होगा।
उद्योग को उनके उन्नयन या उनके उप-प्रणालियों, उप-प्रणालियां, असेंबलियों या घटकों के लिए खर्च वहन करना पड़ता है।
ये मुख्य रूप से आयात प्रतिस्थापन और अभिनव समाधान के रूप में मदद करने जा रहे हैं।
देश में इन परियोजनाओं के स्वदेशी विकास से भारतीय रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी और इन प्रौद्योगिकियों में भारत को एक डिजाइन दिग्गज के रूप में स्थापित होने में भी सहायता मिलेगी।
(आईएएनएस)
Created On :   3 March 2022 10:30 PM IST