100 दिन बाद फिर पटरी पर आई टॉय ट्रेन, 25 अक्टूबर से होगी शुरू

Darjeeling Himalayan Railway or toy train starts chugging again
100 दिन बाद फिर पटरी पर आई टॉय ट्रेन, 25 अक्टूबर से होगी शुरू
100 दिन बाद फिर पटरी पर आई टॉय ट्रेन, 25 अक्टूबर से होगी शुरू

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। टॉय ट्रेन के नाम से जानी जाने वाली दार्जिलिंग की हिमालयन रेलवे (डीएचआर) लगभग 100 दिनों के बाद फिर वापस पटरी पर आ गई है। हालांकि रविवार को चली पहली ट्रेन में यात्री नहीं सिर्फ कर्मचारी थे और ये दो डब्बों के साथ रवाना हुई। दार्जिलिंग में अलग राज्य की मांग को लेकर चलते हो रहे गोरखालैंड आंदोलन के वजह से ये टॉय ट्रेन बंद की गई थी। रविवार को ट्रेन को निरीक्षण के लिए पटरी पर दौड़ाया गया।

बता दें बेमियादी बंद और आंदोलन के कारण 12 जून से टॉय ट्रेन को पूरी तरह बंद कर दिया गया था। बताया जा रहा है इस आंदोलन में हुई हिंसा, तोड़-फोड़ और आगजनी में डीएचआर को लगभग 2.5 करोड़ का नुकसान हुआ, लगभग 40 जगहों पर ट्रैक पर तोड़ -फोड़ की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार फिलहाल टॉय ट्रेन को निराक्षण के तौर पर वापस शुरू किया गया है, क्योंकि कई जगह पटरी और अन्य उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया था। हालात काबू में आते ही काम फिर शुरू किया गया और फिलहाल ये ट्रेन सिलीगुड़ी और सुकना के बीच 35 किलोमीटर के ट्रैक पर प्रायोगिक आधार पर शुरू की गई है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने बताया, "अभी प्रायोगिक आधार पर सिलीगुड़ी से सुकना के बीच सेवाएं शुरू की हैं। जल्द ही यात्रियों को फिर से इसमें सवार होने की अनुमति मिलेगी। फिलहाल सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच के पटरी के हर इंच का निरीक्षण किया जा रहा है। सब कुछ ठीक रहा, तो 25 अक्टूबर से फिर सेवा बहाल होने के आसार हैं।"

विश्व विरासत का दर्जा पा चुकी है टॉय ट्रैन

यूनेस्को ने दिसंबर 1999 में डीएचआर को विश्व विरासत का दर्जा दिया था। पहाड़ों की सैर कराने वाली ये यात्रा रेलवे ने 1881 में शुरू की थी। जिसके बाद ये पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन कर उभरी है। इस ट्रेन का नाम टॉय ट्रैन इसलिए पड़ा क्योंकि ये देखने में एकदम खिलौनों जैसी ही लगती है। ये दार्जिलिंग से लेकर घूम तक 2 घंटे की राऊंड ट्रिप कराती है, घूम जाना इसलिए भी मजेदार है क्योंकि वो हिमालय की चोटी में 7407 फुट ऊपर पहाड़ पर स्थित है। अब चुकिं ये सेवा फिर बहाल हो चुकी है तो आप 25 अक्टूबर के बाद इसका आनंद उठा सकते हैं और ज्यादा जानके लिए यहां भी पढ़ सकते हैं। Darjeeling Toy Train Rides, Services Schedule

toy train in darjeeling gorkhaland के लिए चित्र परिणाम

 

क्या है गोरखालैंड आंदोलन ?

अलग राज्य की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग की अगुवायी में आंदोलन किया जा रहा था, ये आंदोलन लगभग 109 दिनों तक चला, और इस आंदोलन में हुई आगजनी और तोड़ के कारण  दार्जिलिंग को काफी नुकसान हुआ और एक तरीके से इसने पर्यटन कारोबार की कमर तोड़ दी, अकेली टॉय ट्रेन परिसर में 2.5 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है वहीं इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और सैकड़ों लोग घायल भी हुए। 80 के दशक से ये आंदोलन चला आ रहा है तब इसी अगुवाई गोरामुमो सुप्रीमो सुवास घीसिंग कर रहे थे। 

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Created On :   16 Oct 2017 10:39 AM IST

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