राज्यसभा में बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित
- केंद्र राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं करना चाहता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा ने गुरुवार को बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया जिसमें देश भर में कुछ खास बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान है जिसमें इसके तहत अपराध के लिए दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान शामिल है। लोकसभा में यह विधेयक 2 अगस्त 2019 में ही पारित हो गया था। चूंकि इस विधेयक पर सरकार की ओर से संशोधन लाए गए हैं। इसलिए अब इस विधेयक को फिर लोकसभा में भेजा जाएगा और निम्न सदन की मंजूरी ली जाएगी।
इसे बुधवार को राज्यसभा में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विपक्षी नेताओं के हंगामे के बीच पेश किया। हालांकि इससे पहले कि कोई और चर्चा या वोटिंग हो पाती, सदन को स्थगित कर दिया गया। गुरुवार को फिर से बहस की शुरूआत करते हुए शेखावत ने विस्तार से बताया कि विधेयक कैसे और क्यों जरूरी है। विपक्षी दलों के नेता दाहिनी कोहनी पर एक काली रिबन बांधकर विधेयक को राज्यसभा की प्रवर समिति को सौंपने की मांग की।
शेखावत ने विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का जवाब देने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि केंद्र राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं करना चाहता है। विधेयक को बाद में ध्वनि मत से संशोधन के साथ पारित किया गया। जून 2019 (लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने के समय से एक महीने पहले) तक के डेटा से पता चलता है कि भारत में 5,745 बड़े बांध हैं (निमार्णाधीन बांध शामिल हैं)। इनमें से 5,675 बड़े बांध राज्यों द्वारा 40 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा और पांच निजी एजेंसियों द्वारा संचालित किए जाते हैं। इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक बांध 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं और लगभग 220 बांध 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं। इनमें से अधिकांश बड़े बांध महाराष्ट्र (2,394), मध्य प्रदेश (906) और गुजरात (632) में हैं।
विधेयक में दो राष्ट्रीय स्तर के निकायों और दो राज्य स्तर के निकायों के गठन की परिकल्पना की गई है। राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति बांध सुरक्षा मानकों के संबंध में नीतियों को विकसित करने और विनियमों की सिफारिश करने में मदद करेगी जबकि राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण नीतियों को लागू करेगा और राज्य निकायों को तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। बांध सुरक्षा पर राज्य समिति और राज्य बांध सुरक्षा संगठन की भूमिका राष्ट्रीय निकायों के समान होगी लेकिन अधिकार क्षेत्र उनके संबंधित राज्यों तक सीमित होगा।
यह विधेयक देश के सभी निर्दिष्ट बांधों पर लागू होता है। सरकार ने बांध सुरक्षा के संबंध में एक व्यक्ति को सजा के तौर पर जेल में डालने का प्रावधान भी पेश किया है। जहां अपराध के कारण जीवन की हानि होती है, कारावास की अवधि को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। प्रावधानों के अनुसार बांध के सुरक्षित निर्माण, संचालन, रखरखाव और पर्यवेक्षण के लिए बांध मालिक जिम्मेदार होंगे। नियमित निगरानी के अलावा, बांध मालिकों के कार्यों में एक आपातकालीन कार्य योजना तैयार करना, निर्दिष्ट नियमित अंतराल पर जोखिम मूल्यांकन अध्ययन करना और विशेषज्ञों के एक पैनल के माध्यम से एक व्यापक बांध सुरक्षा मूल्यांकन तैयार करना शामिल है।
(आईएएनएस)
Created On :   2 Dec 2021 11:00 PM IST