'घोड़ा' रखने पर दलित युवक की हत्या, ऊंची जाति के लोगों पर शक
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात के भावनगर में एक दलित युवक की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि वो "घुड़सवारी" किया करता था। भावनगर के टिंबा गांव में रहने वाले 21 साल के प्रदीप राठौर गुरुवार को घोड़े पर बैठकर घर से निकला था। जब वो शाम तक नहीं लौटा तो उसकी तलाशी की गई। तलाशी में प्रदीप की लाश गांव की सड़क पर मिली। बताया जा रहा है कि घोड़ा रखने पर पिछले कुछ दिनों से ऊंची जाति के लोगों की तरफ से प्रदीप को धमकी दी जा रही थी। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हालात काफी तनाव हैं। वहीं पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
दो महीने पहले ही खरीदा था घोड़ा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टिंबा गांव में रहने वाले प्रदीप ने दो महीने पहले ही घोड़ा खरीदा था। बताया जा रहा है कि उसे घुड़सवारी का काफी शौक था। वो हर दिन घोड़े से ही आया-जाया करता था। एक दलित युवक का घोड़े पर इस तरह सवारी करना, ऊंची जाति के लोगों को नागवार गुजरा। बताया जा रहा है कि घोड़ा खरीदने के बाद से प्रदीप को ऊंची जाति के लोगों की तरफ से धमकी मिलती रहती थी, जिसके बाद वो घोड़ा बेचना भी चाह रहा था, लेकिन पिता ने मना कर दिया। इसके बाद गुरुवार को जब वो घर से घोड़े पर निकला तो देर शाम तक उसकी लाश गांव के रास्ते पर पड़ी मिली। इतना ही नहीं घोड़ा भी कुछ दूरी पर मरा पड़ा मिला।
कहके गया था आकर खाना खाएंगे : पिता
प्रदीप के पिता कालूभाई राठौर ने मीडिया को बताया कि "प्रदीप खेती में मेरी मदद किया करता था। गुरुवार को भी प्रदीप खेत गया था। जाने से पहले उसने मुझसे कहा था कि रात का खाना साथ आएंगे। इसके बाद जब शाम होने के बाद भी वो घर नहीं लौटा तो हमने उसकी तलाश की। तभी रास्ते में उसकी लाश हमें मिली।" कालूभाई ने अपनी शिकायत में राजपूतों पर धारदार हथियार से बेटे की हत्या करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि "दूसरे गांव के ऊंची जाति के लोग पिछले काफी दिनों से प्रदीप को घुड़सवारी करने के लिए मना कर रहे थे। इसके लिए उसे कई बार धमकियां भी दी। जिसके बाद प्रदीप ने घोड़े को बेचने का भी कहा, लेकिन मैंने उसे मना कर दिया।"
परिजनों ने शव लेने से किया इनकार
प्रदीप की लाख मिलने के बाद उसका भावनगर सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन परिजनों ने शव लेने से मना कर दिया है। परिजनों का कहना है कि जब तक प्रदीप के हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वो प्रदीप का शव नहीं लेंगे। बता दें कि टिंबा गांव की आबादी लगभग 3000 बताई जा रही है, जिसमें से 10% आबादी दलितों की है।
गुजरात में दलितों पर हमले की घटनाएं :
- 11 जुलाई 2016 को गिर-सोमनाथ जिले के ऊना में एक गांव में कुछ दलितों को गौरक्षकों ने पीटा, जिसमें उनकी मौत हो गई थी। ये दलित युवक मृत गायों को ले जा रहे थे।
- 23 सितंबर 2016 को बनासकांठा जिले के अमीरगढ़ इलाके के करजा गांव में दलित परिवार पर सिर्फ इसलिए हमला किया गया, क्योंकि इस परिवार के एक सदस्य ने गांव मृत मवेशियों को ले जाने से मना कर दिया था।
- आनंद जिले के बोरसाड़ में निसारिया गांव के रहने वाले सौरभ चौहान को कुछ लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा, क्योंकि उसने अपनी बाइक पर "बापू" लिखवा रहा था।
- गांधीनगर जिले के कलोल के लिंबोडारा गांव में "मूंछें" रखने पर दो दलित युवाओं का किडनैप किया गया।
- आनंद जिले के भद्रणिया गांव में एक दलित युवक की गरबा खेलने के कारण हत्या कर दी गई।
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, दलितों पर हमले के मामले में गुजरात देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। दलितों पर हमले के सबसे ज्यादा बिहार में सामने आते हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में 2015 में दलितों पर हमले की 1046 घटनाएं सामने आई थीं। इसके बाद 2016 में 1355 और अगस्त 2015 तक 1085 घटनाएं गुजरात में हुई थी।
Created On :   31 March 2018 8:29 AM IST