लॉकडाउन के डर से पलायन: मुंबई और दिल्ली से लौट रहे प्रवासी, नौकरी से निकाल रहीं कंपनियां, रेलवे स्टेशनों पर भीड़
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- दिल्ली और मुंबई के रेलवे स्टेशनो पर भारी संख्या में घर जाने के लिए दिखे लोग
- दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने और रात्रि कर्फ्यू के बाद लोगों में बढ़ी लॉकडाउन की दहशत
- रिजर्वेशन के बिना स्टेशन में एंट्री नहीं
- परिवार लेकर पहुंच रहे लोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में राज्य सरकारें लॉकडाउन की ओर बढ़ रही हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 10 दिन का लॉकडाउन लगा दिया गया है। वहीं दिल्ली और महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू सख्ती के साथ लागू कर दिया गया है। ऐसे में लॉकडाउन की आशंका को देखते हुए दिल्ली और मुंबई से प्रवासी मजदूरों के पलायन करने का सिलसिला शुरू हो गया है। बुधवार को दिल्ली और मुंबई के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ देखने के मिली।
दिल्ली के हालात
- दिल्ली में मंगलवार को कोरोना के 5100 मामले सामने आए और रात्रि कर्फ्यू भी लगा दिया गया। इन सबके बाद लोगों के दिल में एक बार फिर लॉकडाउन की दहशत घर करती जा रही है। यही वजह है कि लोग दिल्ली को छोड़कर वापस अपने गृह राज्यों को लौट रहे हैं। लोग नहीं चाहते कि अगर देश या दिल्ली में एक बार फिर लॉकडाउन लगे तो उन्हें फिर से उन यातनाओं से गुजरना पड़े जिससे वह पिछले साल गुजरे थे। यही कारण है कि आज नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ देखी गई।
- रिकॉर्ड एक लाख से ज्यादा कोरोना जांच, संक्रमण के 5100 मामले- दिल्ली में मंगलवार को रिकॉर्ड एक लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच की गई। इसमें संक्रमण के 5100 मामले आए। वहीं, 17 लोगों की मौत हुई। 2300 लोग स्वस्थ भी हुए। कोरोना की शुरूआत के बाद ऐसा पहली बार है जब एक ही दिन में एक लाख से ज्यादा लोगों की जांच की गई है। वहीं, नवंबर के बाद पहली बार संक्रमितों का आंकड़ा पांच हजार से ज्यादा हुआ है।
मुंबई के हालात
- रिजर्वेशन के बिना स्टेशन में एंट्री नहीं, परिवार लेकर पहुंच रहे लोग- मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन पर रविवार के बाद से हर दिन प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ नजर आ रही है। लोग अपने सामान और परिवार के साथ यहां डटे हुए हैं। स्टेशन में बिना रिजर्व टिकट के एंट्री नहीं मिल रही है। टिकट खिड़कियों पर लंबी कतार देखने को मिल रही है।
- उत्तर प्रदेश के रहने वाले और मुंबई के धारावी में संविदा पर हेल्थ वर्कर के रूप में काम कर रहे अहमद खान कहते हैं, ‘पिछली बार अचानक लॉकडाउन लगाकर सरकार ने हमें परेशानी में डाल दिया, लोगों को पुलिस के डंडे खाने पड़े। ऐसे स्थिति फिर से न आए, इसलिए हम वापस अपने गांव जा रहे हैं।’
- UP के बांदा के रहने वाले राजेश परिहार मुंबई में कई साल से सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे थे। लॉकडाउन लगने की आशंका के बाद कंपनी ने एक सप्ताह पहले उन्हें नौकरी से निकाल दिया। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे वापस घर जा सकें। किसी तरह घर से पैसे मंगवाए और अब वे वापस लौट रहे हैं। राजेश ने बताया, ‘स्थिति नॉर्मल होने के बाद मैं यहां लौटा था। नौकरी जाने के बाद मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं खाना भी खा सकूं, किसी तरह से पैसे मंगवाकर अब घर लौट रहा हूं।’
फिर से इन उद्योगों का उत्पादन हो सकता है प्रभावित
मजदूरों के पलायन करने से पावरलूम इंडस्ट्री सहित उससे जुड़े साइजिंग, डाइंग कंपनियों के अलावा मोती कारखाना एवं गोदामों के कामकाज, कंस्ट्रक्शन के काम पर बड़ा असर पड़ने वाला है। राज्य सरकार की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के बीच साल 2020 में मुंबई समेत पूरे राज्य से 11.86 लाख प्रवासी मजदूरों का पलायन हुआ था। हालांकि आंकड़ों में यह संख्या करीब 25 लाख के आसपास थी।
भीड़ कम करने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत बढ़ाई
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार के अनुसार, केवल रिजर्व टिकट वालों को ही स्टेशन परिसर में आने और ट्रेनों में यात्रा की अनुमति है। पहले जो लोग सामान्य श्रेणी से यात्रा करते थे, अब उन्हें सेकेंड सिटिंग श्रेणी में सीमित टिकट दी जा रही है। इसके अलावा प्लेटफॉर्म पर भीड़ न हों, इसके लिए प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत 50 रुपए कर दी गई है।
पिछले साल पैदल जाना पड़ा था
पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन के बाद मुंबई में काम करने वाले लाखों प्रवासी मजदूरों का कामकाज बंद हो गया था, जिसके बाद मुंबई से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में मजदूरों को पैदल जाना पड़ा था।
Created On :   7 April 2021 7:01 PM IST