विवाद: अयोध्या के बाद अब इन मंदिरों पर विश्व हिंदू परिषद की नजर, 16 फरवरी को बैठक में बनाएंगे रणनीति
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- 1991 में दायर किया गया था मुकदमा
- अयोध्या की तर्ज पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच की मांग की
- काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को मस्जिद से मुक्त कराने तेज करेंगे अभियान: विहीप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में ट्रस्ट का गठन होने के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) काफी उत्साहित है। लिहाजा, विहिप अब दूसरे मुद्दों पर आगे बढ़ने लगी है। विहिप ने तय किया है कि अब काशी, ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के मुद्दे को आगे बढ़ाया जाए। इस मसले पर रणनीति बनाने के लिए वाराणसी में 16 फरवरी को विहिप की एक महत्वपूर्ण बैठक भी होने वाली है।
गौरतलब है कि 17 फरवरी से ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर बनारस के सिविल कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है। इसी सुनवाई के बहाने विहिप ने अपने अभियान को तेज करने की रणनीति बनाई है। विहिप के एजेंडे में अब काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामला आ गया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को मस्जिद से मुक्त कराने तेज करेंगे अभियान
इस मुद्दे पर पूछे जाने पर विहिप के सूत्रों ने साफ-साफ कहा कि अयोध्या में राम मंदिर, बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि तीनों हमेशा से विहिप के मुख्य मुद्दे रहे हैं। अब राम मंदिर का मामला खत्म हो चुका है। ट्रस्ट को मंदिर निर्माण करना है। लिहाजा, विहिप अब काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को मस्जिद से मुक्त कराने के लिए अपना अभियान तेज करेगी।
हिंदू समाज के धार्मिक और स्वाभिमान का प्रतीक है काशी विश्वनाथ मंदिर: परांडे
हालांकि, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे खुलकर बोलने से बचते रहे, लेकिन वह इतना जरूर बोल गए कि काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू समाज के धार्मिक और स्वाभिमान का प्रतीक है, जिसको छोड़ा नहीं जा सकता और जो भी उचित होगा, वह किया जाएगा।
अयोध्या की तर्ज पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच की मांग की
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का झगड़ा भी काफी पुराना है। यह मामला कोर्ट में है। हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में गुहार लगाई गई है कि पूरे परिसर का अयोध्या की तर्ज पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच कराई जाए, क्योंकि हर जगह मंदिर के सबूत हैं।
1991 में दायर किया गया था मुकदमा
ज्ञानवापी में नए मंदिर का निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने के लिए 1991 में मुकदमा दायर किया गया था। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य पक्ष हैं। मुकदमे में जिरह करने वाले दो पंडितों की पहले ही मौत हो चुकी है। मुकदमे का प्रतिनिधित्व पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी कर रहे हैं।
गौरलतब है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साफ किया था कि काशी और मथुरा जैसे विषय अब संघ के ऐजेंडे में नहीं है और न ही संघ इस मसले पर कोई अभियान या योजना बना रहा है, लेकिन इसके ठीक उलट विहिप ने अब काशी, मथुरा जैसे मुद्दों पर फोकस करना शुरू कर दिया है।
Created On :   13 Feb 2020 10:24 PM IST