भारी विरोध के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड

उत्तराखंड भारी विरोध के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड
हाईलाइट
  • पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का कर रहे थे विरोध

डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने आधिकारिक घोषणा करते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का ऐलान कर दिया है। सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक को वापस लेने का फैसला लिया है सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को लेकर कई सामाजिक संगठनों, तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों और विभिन्न प्रकार के जनप्रतिनिधियों से बात की है और सभी के सुझाव आए ।

उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर मंत्रिमंडल की उपसमिति की रिपोर्ट सीएम धामी को सौंपी। उससे एक दिन पहले ही उच्चाधिकार समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंपी थी। इस कमेटी को उत्तराखंड चार धाम प्रबंधन अधिनियम , 2019 पर गौर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित किया था।

बीजेपी की चुनावी मजबूरी

इससे पहले उत्तराखंड के चार धाम के पुरोहितों की संस्था ने भी कहा था कि चुनाव में वो 15 उम्मीदवार खड़ा करेगी। ये पुरोहित राज्य सरकार की ओर से बनाए गए देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे थे। इसके लिए पुरोहितों ने चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति का गठन किया। समिति ने कहा कि वो बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के कार्यकाल में देवस्थानम अधिनियम पारित किया गया था। इसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। तब श्राइन बोर्ड की तर्ज पर त्रिवेंद्र सरकार ने देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला किया था। तभी से तीर्थ पुरोहितों  के संगठनों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा था।

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भी देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा कांग्रेस द्वारा खूब उछाला जा रहा था खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस बात की घोषणा की कांग्रेस की सरकार बनने पर देवस्थानम बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा। जिसके चलते बीजेपी की धामी सरकार पर बड़ा दबाव था।  

आपको बता दें यह देवस्थानम  बोर्ड चार धाम केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री से जुड़े 51 मंदिरों की देखरेख करता है। पुरोहित इस बोर्ड के गठन का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि इस बोर्ड ने मंदिरों पर उनके परंपरागत अधिकार को खत्म कर दिया है।

Created On :   30 Nov 2021 1:03 PM IST

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