लोकसभा में सोमवार को पेश किया जाएगा नागरिकता संशोधन बिल: सूत्र

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। लोकसभा में पेश किए जाने के अगले दिन मंगलवार को इसे राज्य सभा में लाया जा सकता है। इस बिल में दूसरे देशों से भारत आए विभिन्न धर्म के लोगों के भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
गौरतलब है कि, बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के दौरान इस बात पर फैसला हुआ कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जानी चाहिए। इस संशोधित विधेयक में शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि 6 साल करने का प्रावधान है। 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए किसी वैध दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बिल के समर्थन में कहा," सरकार ने यह फैसला देश की जनता के पक्ष में लिया है। मुझे उम्मीद है लोग राष्ट्र हित में इसका पूरा समर्थन करेंगे।" हालांकि विपक्ष ने इस बिल का पुरज़ोर विरोध किया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई-एम और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसे एक सम्प्रदायिक फैसला बताते हुए कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।
पूर्वोत्तर राज्यों में इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। लोग इस बिल के खिलाफ धरने पर बैठे नज़र आये। उनका कहना है कि इससे पूर्वोत्तर के राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत खत्म हो जाएगी। पूर्व फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया ने नागरिकता संशोधन बिल को "खतरनाक" बताया और कहा कि यह बिल सिक्किम जैसे राज्यों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका नुकसान पुर्वोतरी राज्यों को लम्बे समय तक भुगतना पड़ेगा।
Created On :   5 Dec 2019 7:02 PM IST