लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास, पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े

लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास, पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा से सोमवार को नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 पास हो गया। बिल के पक्ष में 311 जबकि विरोध में 80 वोट पड़े। जेडीयू और शिवसेना ने भी इस बिल के पक्ष में वोट किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिल पास होने पर खुशी जताई। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल के पारित होने के बाद पड़ोसी तीनों देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। आइए जानते हैं इस बिल को लेकर किसने क्या कहा?

चर्चा के बाद बिल पर शाह का जवाब
अमित शाह ने कहा, कई सदस्यों ने आर्टिकल-14 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है। न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है।  इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती। सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है। जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना। नेहरू-लियाकत समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने का करार किया लेकिन पाकिस्तान ने इस करार का पूरा पालन नहीं किया।

पाक, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में इस्लाम राज्य धर्म
अमित शाह ने कहा, "3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है। वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी। 2011 में ये 3.7% पर आ गई। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8% हो गई। आखिर कहां गए ये लोग। जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये? शाह ने कहा, 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे। आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए हैं कानून
अमित शाह ने कहा, ये कानून किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं लाया गया है। ये सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है। इसलिए इसमें आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं होता। ये बिल आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25 किसी का उल्लंघन नहीं करता है। ये संविधान के हिसाब से पूरी तरह ठीक है। किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी को या अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाए नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते। हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे।

पीओके और उसके नागरिक हमारे
शाह ने कहा, भारत ने किसी भी रिफ्यूजी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है। पारसी भी प्रताड़ित होकर ईरान से भारत आए थे। पीओके भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं और आज भी हम जम्मू कश्मीर की विधानसभा में 24 सीट इनके लिए आरक्षित रखते हैं। जब भी नागरिकता के बारे में कोई इंटरवेंशन हुआ, वो किसी न किसी स्पेसफिक प्रॉबलम को सॉल्व करने के लिए हुआ। यूगांडा से जब लोग आए थे, तो केवल वहां से आए लोगों को ही नागरिकता दी गई, अन्य किसी देश से आए लोगों को नागरिकता नहीं दी गई थी। हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है। ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते हैं। रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। ये मैं आज फिर कह रहा हूं।

सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल ट्रैप नहीं
शाह ने कहा, अभिषेक बनर्जी ने आज अपने वक्तव्य में टैगोर, विवेकानंद और बंकिम बाबू का नाम लिया। लेकिन बंकिम बाबू के समय ऐसे बंगाल की कल्पना थी क्या कि दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट में जाना पड़े? मैं इतना कहना चाहता हूं कि माइनॉरिटी में कोई डर की भावना नहीं है, अगर है तो भी मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल ट्रैप है। लेकिन इसमें कोई ट्रैप नहीं है। उन लोगों को ये ट्रैप जरूर लग सकता है जो वोटबैंक के लिए घुसपैठियों का संरक्षण करते हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।

NRC लाएंगे और एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा
शाह ने कहा, मैं बंगाल के सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि लाखों लोगों को जो नागरिकता मिलने वाली है वो सारे बंगाली शरणार्थी है, क्या आप नहीं चाहते कि बंगाली हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिले? कुछ लोग बिल के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। लेकिन किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। शरणार्थियों के पास राशन कार्ड है या नहीं, ये बिल सबको नागरिकता देगा। आपको किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पायेगा।

देश के किसी मुसलमान का इस बिल से कोई वास्ता नहीं
शाह ने कहा, मैं जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है। ये भी कहा गया कि इसमें तीन देशों को ही क्यों लिया गया। श्रीलंका, चीन और म्यांमार, नेपाल को क्यों नहीं लिया गया। नागरिकता पर जब भी इस देश में निर्णय हुआ तो किसी निश्चित परिस्थिति के आधार पर, निश्चित प्रकार की समस्या को हल करने के लिए निर्णय हुआ है। हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है। मैं फिर स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस देश के किसी मुसलमान का इस बिल से कोई वास्ता नहीं है। ये उन तीन देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है।

देश में NRC लागू होकर रहेगा
अमित शाह ने कहा, ओवेसी साहब ने कहा की NRC का बैकग्राउंड बना रहे हैं, NRC का कोई बैकग्राउंड बनाने की जरूरत ही नहीं हैं, हम इस पर बहुत साफ़ हैं कि इस देश में NRC लागू होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि मुसलमानों से नफरत क्यों हैं? मैं कहना चाहता हूं कि हमें कोई नफरत नहीं हैं, बस आप कोई नफरत मत खड़ी करना। इस बिल का भारत के नागरिक मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं हैं।

कांग्रेस के शासन में धर्म के आधार पर दी गई नागरिकता
अमित शाह ने कहा, शशि थरूर जी को मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के शासन में आजादी के बाद जितनी बार भी नागरिकता दी गई, वो धर्म के आधार पर ही दी गई, क्योंकि देश का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था। ये कहा गया है कि एनआरसी में गोरखा, पंजाबी, मारवाड़ी, बिहारी जो नॉर्थ ईस्ट के रहते हैं, वो बाहर हो जाएंगे, ये सही बात नहीं है।किसी पंजाबी, बिहारी, मारवाड़ी, ओडिशा के लोग या किसी भी निवासी को घुसपैठिया नहीं करार दिया जाएगा। भारत के मूल निवासियों का यहां रहने का मूल अधिकार है, किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

पाक में लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन
शाह ने कहा मैं पूरी गंभीरता के साथ देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि जब तक नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तब तक भारत का संविधान ही हमारा धर्म है। 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं। बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।

2 लाख से घटकर 500 रह गए हिंदू और सिख
शाह ने कहा, इन देशों में ढेर सारे मंदिर तोड़े गए। अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए। पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया। भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया। ऐसे में ये अल्पसंख्यक कहां जाते। मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर हैं। जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, वो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है।

नेहरू-लियाकत समझौते की गलती को पीएम मोदी ने सुधारा
शाह ने कहा, वोट बैंक के लालच में अगर आंख अंधी और कान बहरे हो गए हैं तो उन्हें खोल लीजिए। करोड़ों लोगों के साथ अन्याय हुआ है। जो नर्क की यातना झेल रहे हैं, जिन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही, उन लोगों की यातनाओं से मुक्ति के लिए मोदी जी ये बिल लाए हैं। नेहरू-लियाकत समझौते की गलती को आज मोदी जी ने सुधारने का काम किया है।

अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस
हम नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस बिल के बारे में पढ़ने के बाद मुझे लगता है कि आप भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए इस दिशा में जा रहे हैं। यह बिल धर्म की भावना पर आधारित है। हर धर्म के लोगों ने अपना खून बहाया है उसके बाद जाकर यह हिन्दुस्तान बना है। मैं कहना चाहता हूं कि इस हिन्दुस्तान को जोड़ने का काम करें, तोड़ने का नहीं।

मनीष तिवारी, कांग्रेस
यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है। यह विधेयक असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है। आज, गृह मंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव 1935 में अहमदाबाद में एक हिंदू महासभा सत्र में सावरकर ने रखी थी, न कि कांग्रेस ने।

असदुद्दीन ओवैसी, AIMIM
ओवैसी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक मजहब की बुनियाद बनाया जा रहा है। ओवैसी ने इस बिल को सुरक्षा के लिहाज से ब्लंडर बताया। उन्होंने कहा, यह कानून दोबारा बंटवारे के लिए बनाया जा रहा है। यह तो हिटलर के कानून से भी बदतर है। हम मुसलमानों का गुनाह क्या है। ओवैसी ने कहा कि मैं इस बिल को फाड़ता हूं क्योंकि यह हिन्दुस्तान को तोड़ने का काम करता है।

इससे पहले ओवैसी ने कहा था, "सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। ये बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। मैं आपसे (स्पीकर) अपील करता हूं, इस तरह के कानून से देश को बचाओ और गृहमंत्री को भी बचाओ अन्यथा गृहमंत्री का नाम हिटलर और डेविड बेन-गुरियन के साथ चित्रित किया जाएगा।

भगवंत मान, AAP
सांसद भगवंत मान ने कहा, "इस बिल के जरिए संविधान का कत्ल हो रहा है। आजादी के बाद किसी को भी धर्म के नाम पर नागरिकता नहीं मिली। वहीं अगर अवैध लोगों की पहचान कर ली तो उनका क्या करोगे? कहां लेकर जाओगे इनको? क्या उनके लिए शरणार्थी कैंप बनाओगे? अगर शरणार्थी कैंप बनाओगे तो मुफ्त बिजली-पानी सब देना पड़ेगा। ये बिल हमें लेकर कहां जा रहा है?"

सुखबीर सिंह बादल, SAD
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा, "हम मुसलमानों के नाम क्यों नहीं जोड़ते? मुसलमानों के अपने धर्म के भीतर उत्पीड़न के मामले हैं। मैं आपको पंजाब में अहमदिया समुदाय का उदाहरण दूंगा। वे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मुसलमान हैं।"

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव
मैंने पहले कहा था कि भाजपा की राजनीति ध्यान डायवर्ट कर रही है और समाज को विभाजित कर रही है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक भारत और संविधान का अपमान है। किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। भाजपा अपने चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है। गंगा की सफाई नहीं हुई है। काला धन वापस नहीं आया है। नौकरियां नहीं हैं। बेटियों को बचाया नहीं जा सका और न ही कोई विकास हुआ है।

AIUDF नेता बदरुद्दीन अजमल
हम चाहते हैं कि सरकार इस विधेयक को वापस ले। यह असम, संविधान और हिंदुओं और मुसलमानों की एकता के खिलाफ है। यह सरकार की फूट डालो और राज करो की नीति है। हम इस विधेयक को खारिज कर देंगे और विपक्ष इस पर हमारे साथ है। हम विपक्ष के समर्थन से इस विधेयक को पारित नहीं होने देंगे।

NCP के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक
हम संसद में CAB का विरोध करते हैं। एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) असम में बेतरतीब ढंग से लागू किया गया था। भाजपा मुसलमानों को छोड़कर कुछ समुदायों को नागरिकता देने के लिए CAB को लेकर आई है। हम इसके खिलाफ हैं।

सुप्रिया सुले, एनसीपी
हमारे लोकतंत्र की पूरी नैतिकता समानता है और अनुच्छेद 14 और 15 के बारे करते हुए मैं गृह मंत्री से आश्वस्त नहीं हूं। मैं उनसे इस पर पुनर्विचार करने और विधेयक को वापस लेने का अनुरोध करती हूं।

सौगत राय, टीएमसी
यह विधेयक विभाजनकारी और असंवैधानिक है, यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। यह कानून डॉ. अंबेडकर सहित हमारे संस्थापक पिताओं की हर चीज के खिलाफ है।

अभिषेक बनर्जी, टीएमसी
स्वामी विवेकानंद को झटका लगा होगा अगर वह इस बिल को यहां देख रहे हैं क्योंकि यह उनके विचार के खिलाफ है। भाजपा का भारत का विचार विभाजनकारी है। अगर हम महात्मा गांधी के शब्दों को नजरअंदाज करेंगे और सरदार पटेल की सलाह पर ध्यान नहीं देंगे तो यह विनाशकारी होगा।

नागेश्वर राव, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)
हम अपनी धर्मनिरपेक्ष पार्टी नीति के अनुरूप नागरिकता संशोधन 2019 का विरोध करते हैं। हम भारतीय संविधान के प्रावधानों और भावना का कड़ाई से पालन करते हैं।

प्रसन्ना आचार्य, बीजेडी
हम नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हैं। लेकिन हमारा सुझाव है कि श्रीलंका को भी इसमें शामिल करना है क्योंकि अतीत में अल्पसंख्यकों के प्रति दुर्व्यवहार रिपोर्टें सामने आई है। इसके अलावा, सरकार को इस बात की गलतफहमी दूर करनी चाहिए कि बिल मुसलमानों के खिलाफ है।

राजीव रंजन सिंह, जेडीयू
हम इस बिल का समर्थन करते हैं। अगर पाकिस्तान के सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो मुझे लगता है कि यह सही बात है।

विनायक राउत, शिवसेना
बिल में उल्लेखित इन छह समुदायों के कितने शरणार्थी भारत में रह रहे हैं? गृहमंत्री ने इसका जवाब नहीं दिया कि नागरिकता मिलने पर हमारी आबादी कितनी बढ़ जाएगी? इसके अलावा, श्रीलंका से तमिलों का क्या होगा?

मिधुन रेड्डी, वाईएसआरसीपी
हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन हमारी कुछ चिंताएं भी हैं, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी चिंताओं पर ध्यान देगी। यहां तक ​​कि मुसलमानों के बीच भी संप्रदाय हैं जो सताए जाते हैं, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि सरकार उनके साथ भी बराबरी का व्यवहार करें।

दयानिधि मारन, द्रमुक
संभवत पश्चिम द्वारा अलग-थलग होने का भय आप में फैल गया है और आपको इस विधेयक में ईसाइयों को शामिल करना पड़ रहा है। इसके अलावा अगर पीओके के मुसलमान आना चाहते हैं तो क्या होगा? उनेके लिए आपके पास क्या कानून है?

टीआर सिंह, मणिपुर के शिक्षा मंत्री
इसके बिल के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं होना चाहिए, लेकिन लोग बहुत राजनीति कर रहे हैं, खासकर कांग्रेस। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। मणिपुर में या कहीं और, बिल का कोई प्रभाव नहीं है, लेकिन लोगों को उकसाया जा रहा है।

कौन बिल के पक्ष में, कौन विरोध में
बिल के पक्ष में भारतीय जनता पार्टी, एआईएडीएमके, अकाली दल, जेडीयू और शिवसेना है। जबकि इस बिल के विरोध में टीएमसी, एआईएमआईएम, सपा, कांग्रेस, एआईयूडीएफ, सीपीआई(एम), आईयूएमएल, डीएमके, आरजेडी, बीएसपी, आप और एनसीपी है।

"दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को लाभ"
नागरिकता संशोधन बिल संसद में पारित होने के बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था।

Created On :   9 Dec 2019 3:28 PM GMT

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