चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदले

China changed the names of 15 places of Arunachal Pradesh in its map
चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदले
ड्रैगन की गुस्ताखी चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदले
हाईलाइट
  • नए सीमा कानून को लागू करने से ठीक दो दिन पहले अरुणाचल के विभिन्न स्थानों के नाम बदलने का कदम उठाया गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी सरकार ने नया सीमा कानून लागू करने से दो दिन पहले, चीन के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदल दिए हैं।

चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि उनके पास अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों के लिए मानकीकृत नाम हैं, जिनका उपयोग चीनी मानचित्रों पर किया जाएगा।

यह दूसरी बार है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदले हैं। बहुत पहले 2017 में चीन ने छह स्थानों के नाम बदल दिए थे।

नए सीमा कानून को लागू करने से ठीक दो दिन पहले अरुणाचल के विभिन्न स्थानों के नाम बदलने का कदम उठाया गया है।

23 अक्टूबर को, चीन के शीर्ष विधायी निकाय नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने देश के भूमि सीमा क्षेत्रों के संरक्षण और शोषण का हवाला देते हुए एक नया कानून पारित किया था। समिति ने कहा था कि नया कानून एक जनवरी से लागू होगा।

कानून विशेष रूप से भारत के साथ सीमा के लिए नहीं है। चीन भारत सहित 14 देशों के साथ अपनी 22,457 किमी भूमि सीमा साझा करता है, जो मंगोलिया और रूस के साथ लगती सीमाओं के बाद तीसरी सबसे लंबी सीमा है।

नए सीमा कानून में 62 अनुच्छेद और सात अध्याय हैं। कानून के अनुसार, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना अपनी सभी भूमि सीमाओं पर सीमा को स्पष्ट रूप से चिह्न्ति करने के लिए सीमा चिह्न् स्थापित करेगा।

कानून में आगे कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और चीनी पीपुल्स आम्र्ड पुलिस फोर्स सीमा पर सुरक्षा बनाए रखेंगे। इस जिम्मेदारी में अवैध सीमा पार से निपटने में स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना शामिल है।

कानून किसी भी पक्ष को सीमा क्षेत्र में ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है या पड़ोसी देशों के साथ चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित कर सकता है। इसमें संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी स्थायी भवन के निर्माण को लेकर भी प्रावधान शामिल किए गए हैं।

इसके अलावा कहा गया है कि नागरिकों और स्थानीय संगठनों को सीमा के बुनियादी ढांचे की रक्षा, सीमाओं की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के साथ ही सीमा संबंधी तमाम सुरक्षा बनाए रखने में सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना अनिवार्य है।

यह कानून सीमावर्ती क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। इसमें कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना चीन के समुदाय की भावना को मजबूत करने, चीन की भावना को बढ़ावा देने, देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने, देश और मातृभूमि की नागरिकों की भावना को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके अलावा इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों को बसाने का सुझाव भी दिया गया है।

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच यह कानून अमल में लाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि बीजिंग वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा सकता है।

भारत का दावा है कि चीन पूर्वी लद्दाख की सीमा से लगे अक्साई चिन में भारत के लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर रहा है। पाकिस्तान ने 1963 में चीन को उसके द्वारा अवैध रूप से कब्जे में लिए गए भारतीय क्षेत्र से लगभग 5,180 वर्ग किमी को सौंप दिया है।

भारत और चीन पिछले 20 महीनों से सीमा विवाद में लगे हुए हैं और मुद्दों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य बातचीत जारी है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   30 Dec 2021 9:30 PM IST

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