कश्मीर को कब्जे वाला कश्मीर कहना अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नहीं

Calling Kashmir as Occupied Kashmir is not under freedom of expression
कश्मीर को कब्जे वाला कश्मीर कहना अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नहीं
जेएंडके हाई कोर्ट कश्मीर को कब्जे वाला कश्मीर कहना अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नहीं
हाईलाइट
  • संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार नहीं मिलेगा

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कश्मीर को कब्जे वाला कश्मीर और निवासियों को गुलाम कहने से संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार नहीं मिलेगा। न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ एक वकील मुजमिल बट के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने टिप्पणी की: सरकार की लापरवाही के लिए आलोचना करना और लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नाराजगी जताना एक बात है, लेकिन यह कहना बिल्कुल अलग बात है कि देश के एक विशेष हिस्से के लोग भारत सरकार के गुलाम हैं या वे देश के सशस्त्र बलों के कब्जे में हैं।

पुलिस ने मुजमिल बट के खिलाफ उनके फेसबुक पोस्ट के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें उन्होंने अक्टूबर 2018 में लारनू गांव में मुठभेड़ स्थल पर एक विस्फोट में सात नागरिकों के मारे जाने की आलोचना की थी। बट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंसा की अन्य घटनाओं पर भी नाराजगी व्यक्त की थी। उनका तर्क था कि ये उनका अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। अदालत ने कहा, ये टिप्पणियां कर, बट इस दावे का समर्थन कर रहे थे कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है।

(आईएएनएस)

Created On :   27 April 2022 7:00 PM IST

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