कलकत्ता एचसी ने सीआईडी द्वारा आरोपित सीबीआई अधिकारी को कोयला तस्करी जांच का हिस्सा बनने की अनुमति दी
- झूठे आरोपों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को बड़ी राहत देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने मंगलवार को सीबीआई अधिकारी उमेश कुमार को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के कोयला तस्करी घोटाले की जांच करने वाली टीम का हिस्सा बने रहने के लिए अनुमति दे दी, जिन पर हाल ही में आपराधिक जांच विभाग(सीआईडी) द्वारा डराने-धमकाने का आरोप लगाया गया था।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने कुमार के खिलाफ सीआईडी द्वारा किसी भी तरह की जांच या कार्रवाई पर रोक को भी दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया।
21 जून को हैबर अखान नाम के एक व्यक्ति ने दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर सब-डिवीजन के तहत बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन में कोयला तस्करी मामले के मुख्य जांच अधिकारी कुमार पर डराने-धमकाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
अखान ने आरोप लगाया था कि उन्हें कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में गवाह के तौर पर बुलाया गया था और वहां पहुंचने के बाद कुमार और उनके सहयोगियों ने उन्हें धमकाया। 29 जून को मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आया जहां सीबीआई के वकील सम्राट गोस्वामी ने तर्क दिया कि झूठे आरोपों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
गोस्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि कोयला तस्करी घोटाले की जांच की प्रक्रिया को प्रभावित करने और बाधा उत्पन्न करने के लिए जानबूझकर प्रेरित प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत ने इसके बाद कुमार के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी और मंगलवार को उसने रोक को और बढ़ा दिया।
संयोग से कुमार उस सीबीआई टीम का हिस्सा थे जो 14 जून को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के आवास पर कोयला तस्करी मामले में उनकी पत्नी रूजिरा नरूला बनर्जी से पूछताछ करने गई थी। अभिषेक बनर्जी, जो ममता बनर्जी के भतीजे हैं, डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के सांसद हैं।
आईएएनएस
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Created On :   21 Sept 2022 1:00 AM IST