सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग और सीमाओं की रखवाली को बेहतर बनाने के लिए सीमा अवसंरचना को मजबूत किया जाएगा

Border infrastructure to be strengthened to improve border management, policing and guarding of borders
सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग और सीमाओं की रखवाली को बेहतर बनाने के लिए सीमा अवसंरचना को मजबूत किया जाएगा
नई दिल्ली सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग और सीमाओं की रखवाली को बेहतर बनाने के लिए सीमा अवसंरचना को मजबूत किया जाएगा
हाईलाइट
  • बुनियादी ढांचे पर फोकस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पड़ोसी देशों की सीमाओं पर आवश्यक बुनियादी ढांचे के महत्व को ध्यान में रखते हुए 13,020 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 के दौरान सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (बीआईएम) की केंद्रीय क्षेत्र की समग्र योजना को जारी रखने को मंजूरी दे दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, इस फैसले से सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग और सीमाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी।

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोमवार को यहां कहा, बीआईएम योजना से भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश, भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत-भूटान और भारत-म्यांमार सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न अवसंरचना जैसे कि सीमा बाड़, बॉर्डर फ्लड लाइट, तकनीकी समाधान, सीमा सड़कों और सीमा चौकियों (बीओपी), कंपनी संचालन केंद्रों या ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) के निर्माण में काफी मदद मिलेगी।

एमएचए के अधिकारियों ने यह भी कहा कि यह योजना मुख्य रूप से सीमाओं पर बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए है, लेकिन सीमा से 50 किलोमीटर के भीतर स्थित गांवों की बुनियादी ढांचागत जरूरतों को भी इस फंड से पूरा किया जाता है- जैसे सड़क, स्कूल और आबादी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि। सितंबर, 2018 में, केंद्र ने उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की विशेष विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए बीआईएम की छत्र योजना के तहत लागू की जा रही 60 परियोजनाओं के लिए 8,606 करोड़ रुपये को मंजूरी दी थी। देश की सामरिक संपत्ति और सीमा सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में सीमा आबादी को ध्यान में रखते हुए, गृह मंत्रालय ने सीमावर्ती आबादी को मौसम के हिसाब से सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं, ताकि वे प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के दौरान पूरे वर्ष वहां रह सकें।

सरकार ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे में सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए कि ये लोग सीमावर्ती गांवों में रहना जारी रखें और सीमावर्ती आबादी के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्हें कनेक्टिविटी जैसी सभी सुविधाएं प्रदान करने पर भी जोर दिया गया है। इन क्षेत्रों में स्थायी जीवन सुनिश्चित करने के लिए पेयजल, स्कूल, अस्पताल और अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया है। सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने कहा कि कठोर मौसम और बुनियादी जरूरतों के अभाव में लोग अपने गांवों को छोड़कर छह से सात महीने से अधिक समय तक मैदानी इलाकों में चले जाते हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थित गांव पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दुस्साहस पर भी नजर रखते हैं।

इन इलाकों में भारत और चीनी सेना अक्सर आमने-सामने की स्थिति में आ जाती हैं, क्योंकि कई जगहों को स्पष्ट रूप से सीमांकित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं भारतीय क्षेत्र में कथित अतिक्रमण के चीन के प्रयास का मुकाबला करने के लिए सीमावर्ती गांव के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए हैं। मार्च 2021 में, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने घोषणा की थी कि जिन तीन गांवों को आदर्श गांव की एक विशेष योजना के तहत मॉडल (आदर्श) गांवों के रूप में विकसित किया जाना है, उनमें अंजाव जिले के कहो, मुसाई और किबिथू गांव शामिल हैं।

 

(आईएएनएस)

Created On :   21 Feb 2022 10:00 PM IST

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