अदालत ने जिसे रिहा करने का आदेश दिया, पुलिस ने उसकी जगह किसी और को छोड़ा
- कैदी को जेल से बिना जमानत के रिहा कर दिया
- गलत रिहाई के बाद बंदी ने आत्मसमर्पण किया
- सही बंदी की रिहाई के लिए अदालत ने जारी किया नया आदेश
सीवान, आईएएनएस। आमतौर पर कहा जाता है कि नाम से क्या लेना, काम देखो, परंतु एक ही नाम होने के कारण बिहार के सीवान जिले में अजीबो-गरीब मामला प्रकाश में आया है, जहां एक ही नाम होने के कारण एक कैदी को जेल से बिना जमानत के रिहा कर दिया गया। हालांकि, बाद में उसने सीवान अदालत में आमसमर्पण कर दिया। पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि बिहार के सीवान जेल में गुल मोहम्मद नाम के दो कैदी बंद थे। इनमें से एक कैदी को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।
रिहाई के आदेश जारी होने के बाद जेल प्रशासन ने जेल में बंद गुल मोहम्मद नाम के दूसरे कैदी को रिहा कर दिया। जब यह मामला प्रकाश में आया तब जेल प्रशासन की नींद खुली। पुलिस ने बताया कि जो गुल मोहम्म्द जेल से रिहा हुआ, वह सीवान के गुठनी थाना क्षेत्र के डकैती कांड में गिरफ्तार हुआ था, जबकि जिसे जमानत मिली थी, वह असांव थाना क्षेत्र के सहसरांव गांव का निवासी है।
सहसरांव के गुल मोहम्मद ने जब अपनी रिहाई की सूचना जेल के अधिकारियों के समक्ष रखी, तो मामला प्रकाश में आया। सहसरांव गांव के रहने वाले गुल मोहम्मद के वकील एम.ए. खान ने कहा कि अदालत की गलती के कारण ऐसा हुआ था। उन्होंने कहा कि बाद में अदालत ने नया आदेश जारी किया, जिसके बाद सोमवार को गुल मोहम्मद को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
इधर, जेल से बिना जमानत के रिहा हुए गुल मोहम्मद ने मंगलवार को सीवान व्यवहार न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सुधीर सिन्हा की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गुठनी के गुल मोहम्मद के वकील अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि अदालत के क्लर्क की गलती से गुल मोहम्मद जेल से रिहा हो गए थे। बाद में ईमानदारी दिखाते हुए, उन्होंने अदालत में आत्मर्पण कर दिया।
इधर, सीवान जेल के अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि अदालत के आदेश के बाद कैदी को जेल से रिलीज किया जाता है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को गुठनी का गुल मोहम्मद फिर से अदालत के आदेश पर जेल गया है। इधर, इस मामले में सीवान जिला पुलिस का कोई भी अधिकारी कुछ नहीं बोल रहा है।
Created On :   31 July 2019 10:00 AM GMT