नाव से गंगा में उतर ठुमरी गाकर लोगों को भाई चारे का संदेश दे रहे भूमि निषाद, ज्ञानवापी पर बोले: इतिहास रहे कायम
- कहीं से भी कोई प्रशिक्षण नहीं लिया
डिजिटल डेस्क, वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के कारण देश विदेश में बनारस चर्चा का विषय बना हुआ है। इन्हीं चचार्ओं के बीच राजकुमार उर्फ भूमि निषाद सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही अपनी मधुर आवाज के साथ बीच गंगा में ठुमरी गाया करते हैं। बीते 20, 21साल से उन्हें सुनने कई लोग बाहर से भी आते हैं। लोग कहते हैं की जब वो गाते हैं तो घाट पर बैठे लोग बस उन्हें ही सुनते हैं।
गंगा में डोंगी चलाने वाले भूमि एक कुशल गायक भी हैं। ज्ञानवापी मामले पर वह कहते हैं, बनारस का माहौल जान कर खराब किया जा रहा है। हम जहां रहें, पहले इंसान बनें। लड़ाई झगड़े से कुछ नहीं मिलेगा। हमें बनारस के प्यार को भी कायम रखना है.
वह कहते हैं, मिलकर मंदिर बनाना चाहिये। हिन्दू हो या मुस्लिम, हमारा एक इतिहास है और भाईचारे का संदेश देकर मंदिर बनवाना चाहिए। सब एक ही तत्व से पैदा हुए हैं। सभी मनुष्य है और सबके दिल में मंदिर है। जो भी पुराना इतिहास रहा है उसे सुधारना चाहिए और मंदिर बनना चाहिए। फिलहाल अदालतों में यह मामला चल रहा है और इसमें दो सर्वे रिपोर्टें भी सौंपी गई है। ये रिपोर्टें लीक हो गईं, जिनमें दावा किया जा रहा है की मस्जिद में मौजूद फव्वारे की जगह पर शिवलिंग मौजूद है।
काशी में चौरासी प्रमुख गंगा घाट हैं। गंगा के किनारे बने निषाद घाट है जहां भूमि रहते हैं। उनका सबसे लोकप्रिय गीत जिसने अपार लोकप्रियता हासिल की है उसका नाम है बनारस. इस गीत में वह शहर की प्रशंसा करते हैं और लोगों को शहर में आमंत्रित भी करते हैं। उन्होंने इस महौल पर एक ठुमरी भी सुनाया और प्यार का संदेश भी दिया। ठुमरी के स्वरों को स्वर के उनके विभिन्न वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए हैं और उन पर लाखों व्यूज आ चुके हैं। अपने कई साक्षात्कारों में, भूमि का दावा है कि उन्होंने कहीं से भी कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है और गंगा की पवित्र नदी को अपनी प्रतिभा का श्रेय देती हैं।
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Created On :   20 May 2022 11:30 AM IST