बीजेपी की लिए चुनौती बना पश्चिम बंगाल, कांग्रेस ने सीपीएम से मिलाया हाथ
- कांग्रेस-सीपीएम ने भी किया गठबंधन।
- पश्चिम बंगाल में ममत बनर्जी को रोकने में जुटा भाजपा।
- बंगाल में पार्टियों के बीच कढ़ी टक्कर।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। देश में इस बार महागठबंधन पर चर्चा हो रही है। वहीं भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है। बीजेपी का इस बार विशेष तौर पर पश्चिम बंगाल पर फोकस है। पश्चिम बंगाल पूरी तरह ममता बनर्जी का गढ़ है। चुनाव से पहले ही भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बाण चला रहे हैं। ममता ने जहां भाजपा की रैलियों पर रोक लगा दी। वहीं पुलिस कमिश्रर राजीव कुमार के घर सीबीआई छापे के लिए ममता बनर्जी धरने पर भी बैठ गई। बंगाल में ममता की ताकत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने 42 सीटों में से 34 सीटों पर कब्जा जमाया था।
पश्चिम बंगाल में 2014 लोकसभा चुनाव के परिणाम पर नजर-
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर बंगाल में फिसड्डी साबित हुई थी। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने 42 लोकसभा सीटों में से 34 सीटों पर कब्जा जमाया था। भाजपा यहां तीसरे नंबर की पार्टी रही थी। बीजेपी के खाते में महज दो सीटें आई थी। वहीं दो सीटें लेफ्ट और चार सीटें कांग्रेस को हासिल हुई।
भाजपा इन मुद्दों के सहारे-
हिंदूत्व वोटरों का कार्ड खेलने वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में चुनाव के वक्त इसी मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। लगभग 10 करोड़ की आबादी वाले पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की हिस्सेदारी 70.54 है। भाजपा हिंदुओं वोटर को अपनी तरफ आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रही है। नागरिकता संशोधन बिल बंगाल में बड़ा मुद्दा होगा। बांग्लादेश से आने वाले हिंदू प्रवासियों समेत कई समुदायों को नागरिकता के मुद्दे पर राहत मिलेगी। भाजपा इस मुद्दे के सहारे बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है।
भाजपा का ग्राफ बढ़ा-
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जड़ों से मजबूत है, उसे उखाड़ फैकना आसान नहीं है, लेकिन भाजपा धीरे-धीरे बंगाल में अपनी छाप छोड़ रही है। नगर निकाय चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी रही थी। इसके बाद उलुबेरिया लोकसभा और नोआपाड़ा विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा दूसरे स्थान पर रही।
कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन की ओर-
ममता बनर्जी का समर्थन करने वाले राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में उनसे किनारा कर लिया है। कांग्रेस ने ममता की पार्टी से गठबंधन ना कर सीपीएम से हाथ मिलाने का फैसला लिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने चार और सीपीएम ने दो सीटों पर कब्जा किया था। दोनों पार्टियों में सीटों को लेकर चर्चा चल रही हैं।
Created On :   22 Feb 2019 10:38 AM IST