नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को भटकने से रोकेंगे बस्तर पुलिस के गीत, देखें वीडियो

Bastar Police have launched several songs to counter naxalism
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को भटकने से रोकेंगे बस्तर पुलिस के गीत, देखें वीडियो
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को भटकने से रोकेंगे बस्तर पुलिस के गीत, देखें वीडियो

डिजिटल डेस्क, बस्तर। बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों को काउंटर करने और उनका प्रभाव कम करने के लिए पुलिस ने 5 गीत लॉन्च किए हैं। यह गीत नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर की स्थानीय भाषा में गाए गए हैं। क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी लोगों के लिए बनाए गए इन गीतों का मकसद युवाओं को नक्सलियों के प्रभाव से दूर रखना और उन्हे सही रास्ता दिखाना है ताकि वे विकास और उज्जवल भविष्य की राह पर आगे बढ़ सके।


बता दें कि नक्सली भी स्थानीय गीत और नाटकों के सहारे क्षेत्र के युवाओं को आकर्षित करते हैं। युवाओं को नक्सली बनाने के लिए यह एक बेहद पापुलर मेथड है। साल 1990 से चेतना नाट्य मंडली जैसे नक्सली संगठन गांवों में नाटकों और गीत के जरिए आदिवासी युवाओं को भड़काने का काम करते हैं। ये मंडलियां सरकार विरोधी नाटकों और गीतों की रचना करते हैं और नादान आदिवासी युवाओं को अपनी फोर्स में शामिल कर लेते हैं।

 


नक्सलियों की इसी विधि को काउंटर करने के लिए बस्तर पुलिस ने कुछ प्रेरणादायक गीत बनाए हैं। इन गीतों को पुलिसकर्मी अबुझमाड़ के जंगलों और बस्तर के रेड कॉरिडोर में प्रमोट भी कर रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोंडागांव के एक स्थानीय निवासी अजीत कहते हैं, "पुलिस द्वारा क्षेत्र में अपने कैंप लगाने के बाद नक्सलियों ने यहां आना बंद कर दिया है। हमने इससे पहले इतना सकारात्मक माहौल कभी नहीं देखा। स्कूल के बच्चे इन गीतों पर नाच रहे हैं और युवा इन गीतों को अपनी कॉलर ट्यून बना रहे हैं। हम पुलिस को इसके लिए धन्यवाद देते हैं।"

 

 


कोंडागांव के ASP महेश्वर नाग इन गीतों पर कहते हैं, "आदिवासियों के साथ संचार स्थापित करने के लिए गीत-संगीत एक अच्छा माध्यम है। हम नाटकों पर भी काम कर रहे हैं।" वहीं SP अभिषेक पल्लव ने भी इस शुरुआत पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। पल्लव कहते हैं, "हमें इन गीतों पर अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही है। गीत छत्तीसगढ़ी और हल्बी भाषाओं में बनाए गए हैं, जो कि गांवों वालों को सीधे गीतों से जोड़ती है। इन गीतों को धीर-धीरे पूरे बस्तर क्षेत्र में फैलाया जाएगा। गोंडी भाषा में भी कुछ गीत बनाए जाएंगे।"

Created On :   2 May 2018 6:53 PM IST

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