नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को भटकने से रोकेंगे बस्तर पुलिस के गीत, देखें वीडियो
डिजिटल डेस्क, बस्तर। बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों को काउंटर करने और उनका प्रभाव कम करने के लिए पुलिस ने 5 गीत लॉन्च किए हैं। यह गीत नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर की स्थानीय भाषा में गाए गए हैं। क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी लोगों के लिए बनाए गए इन गीतों का मकसद युवाओं को नक्सलियों के प्रभाव से दूर रखना और उन्हे सही रास्ता दिखाना है ताकि वे विकास और उज्जवल भविष्य की राह पर आगे बढ़ सके।
Bastar Police launched 5 songs in regional languages for tribal in Naxal-prone villages, to motivate them to choose the right path which will lead to development and a bright future." #Visuals from Kondagaon"s Golawand #Chhattisgarh pic.twitter.com/j4XF4Q2OGB
— ANI (@ANI) May 2, 2018
बता दें कि नक्सली भी स्थानीय गीत और नाटकों के सहारे क्षेत्र के युवाओं को आकर्षित करते हैं। युवाओं को नक्सली बनाने के लिए यह एक बेहद पापुलर मेथड है। साल 1990 से चेतना नाट्य मंडली जैसे नक्सली संगठन गांवों में नाटकों और गीत के जरिए आदिवासी युवाओं को भड़काने का काम करते हैं। ये मंडलियां सरकार विरोधी नाटकों और गीतों की रचना करते हैं और नादान आदिवासी युवाओं को अपनी फोर्स में शामिल कर लेते हैं।
#WATCH Children along with police personnel in Kondagaon"s Golawand, perform dance on one of the five songs of Bastar Police, launched to motivate tribal in Naxal-prone villages to choose the right path which will lead to development #Chhattisgarh pic.twitter.com/6QTvgZur62
— ANI (@ANI) May 2, 2018
नक्सलियों की इसी विधि को काउंटर करने के लिए बस्तर पुलिस ने कुछ प्रेरणादायक गीत बनाए हैं। इन गीतों को पुलिसकर्मी अबुझमाड़ के जंगलों और बस्तर के रेड कॉरिडोर में प्रमोट भी कर रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोंडागांव के एक स्थानीय निवासी अजीत कहते हैं, "पुलिस द्वारा क्षेत्र में अपने कैंप लगाने के बाद नक्सलियों ने यहां आना बंद कर दिया है। हमने इससे पहले इतना सकारात्मक माहौल कभी नहीं देखा। स्कूल के बच्चे इन गीतों पर नाच रहे हैं और युवा इन गीतों को अपनी कॉलर ट्यून बना रहे हैं। हम पुलिस को इसके लिए धन्यवाद देते हैं।"
Naxals stopped coming here after police established their camp. We didn"t see such positive environment before. School children perform dance on the songs and youth make it caller tune on their mobile phones. We are thankful to the police: Ajit, local, Kondagaon #Chhattisgarh pic.twitter.com/zwDu8NPfsJ
— ANI (@ANI) May 2, 2018
कोंडागांव के ASP महेश्वर नाग इन गीतों पर कहते हैं, "आदिवासियों के साथ संचार स्थापित करने के लिए गीत-संगीत एक अच्छा माध्यम है। हम नाटकों पर भी काम कर रहे हैं।" वहीं SP अभिषेक पल्लव ने भी इस शुरुआत पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। पल्लव कहते हैं, "हमें इन गीतों पर अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही है। गीत छत्तीसगढ़ी और हल्बी भाषाओं में बनाए गए हैं, जो कि गांवों वालों को सीधे गीतों से जोड़ती है। इन गीतों को धीर-धीरे पूरे बस्तर क्षेत्र में फैलाया जाएगा। गोंडी भाषा में भी कुछ गीत बनाए जाएंगे।"
Created On :   2 May 2018 6:53 PM IST