लोन डिफॉल्टर्स: कांग्रेस-बीजेपी के बीच छिड़ी जंग, जावड़ेकर बोले- चिदंबरम से ट्यूशन लें राहुल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच अब देश के बड़े लोन डिफॉल्टर्स के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में सियासी संग्राम शुरू हो गया है। देश के 50 बड़े लोन डिफॉल्टर्स का कर्ज बट्टे खाते में डाले जाने को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। राहुल की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पटलवार करते हुए कहा, राहुल गांधी को पूर्व मंत्री पी. चिदंबरम से ट्यूशन लेना चाहिए। वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
50 विलफुल डिफॉल्टर्स का कर्ज बट्टे खाते में
दरअसल देश के बैंकों ने जानबूझकर कर्ज वापस नहीं लौटाने वाले बकायेदारों के फंसे 68,607 करोड़ रुपये को राइट ऑफ यानी बट्टे खाते में डाल दिया है। इसमें भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी पहले नंबर पर है। विजय माल्या का नाम भी शामिल है। बैंकों ने 50 बड़े विलफुल डिफॉल्टर्स का कर्ज बट्टे खाते में डाला है।
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राहुल ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
डिफॉल्टर्स की लिस्ट सामने आने के बाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला। मंगलावर को राहुल ने ट्वीट कर कहा, देश के बैंकों ने 50 बड़े विलफुल डिफॉल्टर्स का 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया है। अब RBI ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी सहित भाजपा के ‘मित्रों’ के नाम बैंक चोरों की लिस्ट में डाले हैं।
संसद में मैंने एक सीधा सा प्रश्न पूछा था- मुझे देश के 50 सबसे बड़े बैंक चोरों के नाम बताइए।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 28, 2020
वित्तमंत्री ने जवाब देने से मना कर दिया।
अब RBI ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी सहित भाजपा के ‘मित्रों’ के नाम बैंक चोरों की लिस्ट में डाले हैं।
इसीलिए संसद में इस सच को छुपाया गया। pic.twitter.com/xVAkxrxyVM
मोदी सरकार ने एक भी पैसा माफ नहीं किया-जावड़ेकर
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल गांधी के आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि, ये सही नहीं है कि मोदी सरकार ने 65 हजार करोड़ रुपये माफ कर दिए हैं। सरकार ने एक भी पैसा माफ नहीं किया है। कर्ज को बट्टे खाते में डालना जमाकर्ताओं को बैंक की सही तस्वीरें दिखाने की प्रक्रिया है। यह बैंकों को वसूली करने से नहीं रोकता है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने सभी लोगों के खिलाफ शिकंजा कसा है। नीरव मोदी की संपत्ति जब्त और नीलाम की गई है। अब विजय माल्या के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। हाईकोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर दिया है।
I was taken aback by Rahul Gandhi"s comment that Modi govt has waived off Rs 65,000 Cr.Not a single penny has been waived off. Writing off isn"t waiving off.Rahul Gandhi must take tuition from Chidambaram to understand difference b/w writing offwaiving off: Union Min P Javadekar pic.twitter.com/s8UOVFOV4T
— ANI (@ANI) April 29, 2020
"राहुल को चिदंबरम से ट्यूशन लेना चाहिए"
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तंज कसते हुए कहा, कर्ज ‘बट्टे खाते में डालने’ और ‘माफ करने’ के बीच का अंतर समझने के लिये राहुल गांधी को पी. चिदंबरम से ट्यूशन लेना चाहिए। जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, राहुल गांधी समझ लें की "write off" का मतलब माफ़ी नहीं होता। मोदी सरकार ने एक पैसे का किसी का भी कर्ज माफ़ नहीं किया है। भ्रम फ़ैलाने से फायदा नहीं होगा। "write off" और "waive off" क्या होता है, इसके लिए राहुल को ट्यूशन लेना चाहिए।
राहुल गाँधी समझ ले की "write off" का मतलब माफ़ी नहीं होता। मोदी सरकार ने एक पैसे का किसी का भी कर्ज माफ़ नहीं किया है। भ्रम फ़ैलाने से फायदा नहीं होगा । @PChidambaram_IN ने @RahulGandhi को ट्यूशन देना चाहिए की "write off" क्या होता और "waive off" क्या होता है। pic.twitter.com/jBJvV9cpgD
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 29, 2020
वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा, मोदी सरकार ने डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई कर काफी पैसों की वसूली की है।
Today’s attempt of @INCIndia leaders is to mislead on wilful defaulters, bad loans write-offs. Between 2009-10 2013-14, Scheduled Commercial Banks had written off Rs.145226.00 crores. Wished Shri.@RahulGandhi consulted Dr. Manmohan Singh on what this writing-off was about.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) April 28, 2020
निर्मला सीतारमण ने राहुल की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले यूपीए सरकार की "फोन बैंकिंग" के लाभकारी हैं।
Those defaulters who do not repay despite having capacity to pay, divert or siphon-off funds, or dispose of secured assets without bank’s permission are categorised as wilful defaulters. They are those well connected promoters who benefitted from UPA’s ‘Phone banking’.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) April 28, 2020
Created On :   29 April 2020 3:33 PM IST